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यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व कृतित्व
माड़ के दोनों विभागों का जो क्षेत्रफल आप ने बताया है कि वह १०६६३ वर्ग फीट है। नेमाड़ की प्राकृतिक सीमा बताते हुए भी आप ने लिखा है कि निमाड़ के उत्तर में विंध्याचल, दक्षिण में सतपुड़ा, पूर्व में गंजाल नदी और पश्चिम में हरिणफाल वन है। यह प्रांत २१-५ से २२-३५ उत्तरी अक्षांश और ७४-३५ से ७७-१३ पूर्व रेखांतर के बीच अवस्थित है।
विंध्य और सतपुड़ा ये दो पर्वत ही इस प्रांत की उत्तरी तथा दक्षिणी सीमाओं के बोधक है। नर्मदा नदी मानो इनकी विभाजक रेखा है, जो इनके मध्य में बहकर दोनों भूधरों को विभिन्न दिखाती है। आगे आप ने सतपुड़ा की चोटियों की ऊँचाई भी बताई है, फिर विंध्याचल की ऊंचाई बताते हुए उसके प्रारम्भ से लेकर विस्तार तक की चर्चा की है। इस क्षेत्र में बसे प्रमुख ग्राम-नगरों के नामों के साथ ही प्रमुख घाटों के नामों का भी उल्लेख किया गया है। आपने पाताल पानी नामक प्रसिद्ध झरने का नामोल्लेख कर बताया गया है कि आगे चलकर यह चोरल नदी बन गया है।
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सतपुड़ा और विंध्याचल का विवरण देकर आप ने नेमाड़ की नदियों का वर्णन किया है। इनमें प्रमुख नर्मदा नदी है। निमाड़ में इसकी लम्बाई १६८ मील बताई गई है। आप के अनुसार नर्मदा की कुल लम्बाई ७५० मील है। नर्मदा नदी में मिलने वाली नदियों के नाम भी आप ने बताए हैं। निमाड़ में छोटी तवा, सुक्ता, कुन्दा, बेदा, डेव और गोई नदियाँ दक्षिण से तथा बोगदी, चन्दकेसर, चोरल महेसरी, याद, बागनी और हाथिनी उत्तर से मिलती हैं। ताप्ती नदी का विवरण भी दिया गया है।
आप ने आगे बताया कि पेमगढ़ से पांच मील दूर नर्मदा के उत्तरी तट पर धाधरी स्थान के पास नर्मदा का सबसे बड़ा जलप्रपात है, जो बड़ी चट्टान को फोड़कर पचास फीट की ऊँचाई से गिरता है। इसके साथ जो पत्थर गिरते हैं, वे नीचे के जलगत पत्थरों के साथ टकरा कर गोल बन जाते हैं। वैष्णव लोग उनको बाणलिंग समझकर अपने घरों या देवालयों में रखकर पूजते हैं (पृष्ठ ७) । नर्मदा तट के दोनों ओर हिरफ फाल जंगल का उल्लेख भी किया गया है। आगे वनों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के वृक्षों के नाम दिए गए हैं ( पृष्ठ ८) ।
निमाड़ की जलवायु की चर्चा करते हुए आप ने लिखा है कि निमाड़ में १६ मार्च से ग्रीष्मकाल शुरू हो जाता है। ११८ डिग्री तक गर्मी पड़ती है । २५-२६ इंची वर्षा पर्याप्त है। कभी-कभी ३० इंच तक भी वर्षा हो जाती है। यह प्रांत समुद्र की सतह से १०५० फीट ऊँचा है। इस कारण वर्षा कम और गर्मी अधिक रहती है। आगे इस क्षेत्र में होने वाले रोगों का उल्लेख है।
आप ने उससमय के निमाड़ के यातायात के साधन, जनसंख्या और शिक्षा के साथ ही व्यवसाय और अंधविश्वासों की भी चर्चा की है। ये अंधविश्वास किसी न किसी रूप में आज भी प्रचलित हैं। इतना वर्णन करने के पश्चात् आप ने निमाड़ी की भाषा और सभ्यता पर भी प्रकाश डाला है। हिन्दी का कौन-सा शब्द निमाड़ में कैसे परिवर्तित होता है ? इसका आप ने उदाहरण सहित वर्णन किया है। इससे भाषाविज्ञानविषयक आप के तलस्पर्शी ज्ञान का पता चलता है। उदाहरणार्थ
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