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- यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व - कृतित्व १८. जिनेन्द्र गुणगान-लहरी - इस पुस्तक में विश्व पूज्य चौबीस तीर्थंकर भगवन्तों के चैत्य वन्दन ८८, स्तुतियाँ २२, स्तवन ७०, गुरु-गुणगर्भित स्तवन ११ और गुंहलियाँ ५ सन्दर्भित हैं। जिन गुणगान और गुरु कीर्तन के लिए यह पस्तक अत्यंत उपयोगी है।
यहाँ हमने आचार्य भगवंत द्वारा रचित चरित्र-साहित्य तथा कुछ अन्य साहित्य का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया है। आचार्यश्री की इतिहासपरक रचनाओं, प्रवचनसाहित्य, विहार-दिग्दर्शन तथा पूजा साहित्य को सम्मिलित नहीं किया है। ऐसा इस दृष्टि से किया गया है कि इतिहास, प्रवचन एवं विहार साहित्य पर पृथक से लेखन की अपेक्षा है। हमारे संक्षिप्त अनुशीलन से स्पष्ट हो जाता है कि आचार्य भगवंत द्वारा रचित साहित्य महत्त्वपूर्ण तो है ही, साथ ही आज भी प्रासंगिक है। इनमें से कुछ पुस्तकों का सर्वजन हिताय पुनर्प्रकाशन आवश्यक प्रतीत होता है।
संदर्भ १. स्त्री शिक्षा - प्रदर्शन, पृष्ठ - ५ २. श्री साध्वी व्याख्यान - समीक्षा, पृष्ठ – २
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