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- यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व - कृतित्व - ६. ऐतिहासिक साहित्य - आचार्य भगवन् को इतिहास विषय से लगाव था। यही कारण है कि आप ने इस विषय पर काफी लिखा और लिखवाया भी। अपने विहारदिग्दर्शन में आप ने इतिहास विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त आप ने जैन तीर्थों के इतिहास पर भी ग्रंथ लिखे। ऐसे दो ग्रंथ उपलब्ध हैं -
१. तीन स्तुति की प्राचीनता, २ श्री नाकोड़ा पाश्र्वानथ और ३. श्रीकोरटा जी तीर्थ का इतिहास। इनके अतिरिक्त आपने प्राग्वाट जाति का इतिहास भी लिखवाया था। ७. भक्ति-साहित्य - आचार्य देव द्वारा रचित साहित्य के वर्गीकरण की इस श्रेणी में उन पुस्तकों का समावेश किया जा रहा है, जो ऊपर नहीं आ पायी हैं। इसमें भजन, स्तवन, पूजा से संबंधित साहित्य का समावेश किया गया है। इसी प्रकार की अन्य पुस्तकों को भी इसमें लिया जा सकता है। इसमें निम्नांकित कुछ पुस्तकें उल्लेखनीय हैं - १. जितेन्द्रगुणगान लहरी २. श्री सिद्धाचाल नवाणुं प्रकारी पूजा ३. चतुर्विंशति जिन स्तुतिमाला ४. श्री राजेन्द्रसूरीश्वर अष्टप्रकारी पूजा ५ सविधि स्नात्रपूजा, ६.देवसी पडिक्कमण सूत्र, ७. साध्वीव्याख्यानसमीक्षा ८. साधु प्रतिक्रमणसूक्त-शब्दार्थ।
इस लघु निबंध में आचार्य भगवन् श्रीमद विजययतीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. द्वारा रचित साहित्य का वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया है। आचार्य भगवन् ने साहित्य सेवा के माध्यम से जैन शासन की सेवाएँ की हैं। इस वर्गीकरण में कुछ भूल होना स्वाभाविक है। कारण यह कि हमारे सामने आचार्य भगवन् का सम्पूर्ण साहित्य उपलब्ध न होकर केवल पुस्तकों की नामावली उपलब्ध थी। अस्तु भूल के लिए मिच्छामि दुक्कड़म्।
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ਕੁਝ ਤਾ ਨੀ ਕਿ ਇਸ ਨੂੰ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨੇ ਲਾਸ਼
मनिलाममा किन
आज र नितिन गोगामात्र विमान
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