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यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व-कृतित्व - अपनी यात्रा प्रसंगों को अक्षुण्ण बनाये रखने के विचार से अथवा उस क्षेत्र विशेष के इतिहास पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से विस्तार से लिखा है। इस विषय में आप की निम्नांकित पुस्तकों को सम्मिलित किया जा सकता है - १. श्री यतीन्द्र विहार दिग्दर्शन भाग १, २, ३, ४ २. मेरी गोड़वाड़ यात्रा ३. मेरी नेमाड़ यात्रा। चूँकि ये सब पुस्तकें इतिहास विषयांतर्गत आती हैं,
इसलिए इतिहास की विपुल सामग्री इन पुस्तकों में संग्रहीत है शिलालेखों, ताम्रपत्रों प्रतिमालेखों व
पट्टे-परवानों का इनमे समावेश होने से इनका इतिहास की दृष्टि से काफी महत्त्व है। ३. प्रवचन-साहित्य - प्रवचन कला में आप प्रवीण थे। इस बात को ध्यान में रखकर आप को व्याख्यानवाचस्पति की उपाधि से भी अलंकृत किया था। आप के प्रवचन सरल भाषा में होते थे। प्रवचनों में यथास्थान लोकोक्तियों, मुहावरों आदि का आप प्रयोग कर अपने प्रवचन को सरस एवं प्रभावशाली बना दिया करते थे। प्रवचन में शास्त्रीय उद्धरण एवं दृष्टांत प्रस्तुत कर दिया करते थे। इससे प्रवचन विषय की दृष्टि से पुष्ट एवं दृष्टांत के द्वारा सरल हो जाता था। प्रवचन-साहित्य के अंतर्गत आपश्री की निम्नलिखित पुस्तकों को सम्मिलित किया जाता है :
१. भाषणसुधा २. श्री यतीन्द्र-प्रवचन भाग - १३. समाधानप्रदीप, ४. सत्यसमर्थनप्रश्नोत्तरी, ५.मानव जीवन का उत्थान, (६) श्री यतीन्द्र प्रवचन (गुजराती) (७) आर्हत प्रवचन (संग्रहीत-गुजराती)। ४. जीवनीपरक साहित्य - महापुरुषों का जीवन चरित्र धार्मिक इतिहास का एक अंग होता है। उनके अनुयायी उनके आदर्श जीवन से प्रेरणा प्राप्त करते हैं। आचार्य भगवन ने इस विषय पर भी काफी लिखा है। इसमें अर्वाचीन और प्राचीन का समन्वय मिलता है। यह विषय पर लिखित आप की निम्नांकित पुस्तकें उपलब्ध होती है -
१.जीवन प्रभा-इस पुस्तक में आप ने अपने गुरुदेव आचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.स. का जीवन परिचय दिया है। २. अघटकुमार रत्नसार, हरीबल धीवर चरित्र, ३. जगडूशाहचरित्र, ४. कयवन्ना चरित्र, ५. चम्पकमालाचरित्र ६. राजेन्द्र सूरीश्वरचरित्र, ७. सत्पुरुषों के लक्षण, ८ मोहन जीवनादर्श ९. संक्षिप्त जीवन चरित्र।। ५. धार्मिक साहित्य - आप जैन धर्म के आचार्य थे। इसलिए धर्म विषय पर लिखना भी स्वाभाविक ही था। इस संबंध में आप की निम्नलिखित पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।
१. भावनास्वरूप २. सक्तिरसलता ३. लघ चाणक्य नीति ४. पीतपटााग्रहमीमांसा ५. जीवभेद निरूपण गौतम कुलक. ६. प्रकरण चतुष्टय, ७. स्त्रीशिक्षाप्रदर्शन, ८. गुणानुराग कुलक ९. तप परिमल १०.सत्यबौधभास्कर,११. निक्षेपनिबंध, १२. जैनर्षिपटनिर्णय। १३. रत्नाकर पच्चीसी १४. कुलिंगवनोद्गार मीमांसा १५. वृहद्विद्वद्गोष्ठी १६. अक्षय निधि तप विधि तथा पौषध विध १७. समाधान प्रदीप १८. जन्ममरणसूतकनिर्णय।
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