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अभिनन्दन श्री भण्डारी पद्मचंदजी म.
जैन परम्परा में नारी समाज को बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार प्राप्त है। जैन धर्मप्रवर्तकों ने नारी को समान अधिकार देकर जहाँ समाज में उसका गौरव ऊँचा उठाया है वहीं उसे आध्यात्मिक विकास का भी पूर्ण अवसर प्रदान किया है। इससे नारीजीवन की अमोघशक्ति से समाज बहुत लाभान्वित हुया है। जैन समाज में अतीत में ऐसी अनेक महान् साधिकाएँ हुई हैं और अब भी हैं, जिन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया है। उन्हीं में से एक हैं-साध्वीरत्न, महान विदूषी महासती श्री उमरावकुंवरजी महाराज, जो पचास वर्षों से निरन्तर समाज के उत्थान एवं नव निर्माण के लिए प्रयत्नशील हैं और इसकी अनेक उपलब्धियाँ भी हैं।
इसी से प्रभावित होकर समाज उनके 'दीक्षा स्वर्णजयन्ती' के अवसर पर अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन कर रहा है। यह नितान्त आनन्दप्रद कार्य है। साध्वीजी महाराज के मंगलमय समुज्ज्वल सुदीर्घ जीवन के लिए हमारी अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ ।
शुभकामना के दीप...
महासती अर्चना जी का नाम जैनजगत में किसी से छिपा नहीं है। साध्वी जीवन की विगत अर्धशताब्दी में किये गये आपके सत्कार्यों में तप व साधना का मणिकांचन योग है।
आपकी ध्यानसाधना, योगभावना वर्तमान युग में तो प्रेरणास्पद है ही, भविष्य में भी मार्गदर्शक रहेगी। अनेक भाषाओं के साथ ध्यानयोग, लेखन, निर्देशन में आपकी गहन रुचि है। इन आत्मीय गुणों के कारण ही तो समाज ने आपको वर्तमान युग की सफल साधिकाओं की श्रेणी में-"मालवज्योति" के पद से अलंकृत कर खड़ा कर दिया है। अर्चना जी जैसा व्यक्तित्व आज बहुत कम देखने को मिलता है।
ग्रन्थ के रूप में बहुकोणीय अभिनन्दन देखा जाये तो अर्चना जी के माध्यम से पवित्रात्मानों की गुण-स्तवना है, जो जैन समाज के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
हजारों-हजार दिगभ्रमित प्रात्मानों को सत्य प्रकाश व अमरता की राह पर लाने में महासतीजी की विशेष भूमिका रही है। गरिमामण्डित अध्यात्मपथ की ऐसी अमर साधिका हेतु अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन का पवित्र कार्य प्रशंसनीय है।
मैं शासनदेव से पवित्र भाव लिए यह प्रार्थना करता हूँ कि वह महासती के जीवन में नये तेज का स्फुरण करें। जिस शक्ति व तेजोदीप्त गुणों के माध्यम से जैन जगत् के साथ सम्पूर्ण मानवता की जो आपने मूल्यवान सेवा की है और कर रही हैं, वह क्रम अविकल रूप से चलता रहे।
वर्तमान के प्रति प्राशान्वित एवं भविष्य के प्रति शुभकामनामों के दीप संजोये मैं आपके सूदीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना करता हूँ।
-गणेशमुनि शास्त्री
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आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
प्रथम खण्ड | ११
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