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________________ शुभकामनाएँ महासती श्री उमरावकुंवरजी महाराज सा. अर्चना के संयम जीवन की अर्धशताब्दी पूर्ण होने के शुभ अवसर पर उनके बहुमानार्थ उनकी सेवा में समर्पित करने हेतु अभिनन्दनग्रन्थ के प्रकाशन के आयोजन का प्रयास स्तुत्य एवं सराहनीय है। वास्तव में तो ऐसे महान व्यक्तियों के बहुमान और अभिनन्दन के निमित्त से हम स्वयं उनके आदर्श जीवन और सिद्धांतों से परिचित एवं लाभान्वित होते हैं, हमें सत्य का साक्षात्कार और सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है। जिनका बहुमान एवं अभिनन्दन होन। है वे तो यशः कीर्ति अथवा निन्दा-स्तुति से निरपेक्ष स्थिति को धारण करने वाले हैं। मैं महासती श्री उमरावकंवरजी महाराज सा. के स्वस्थ, सुदीर्घ एवं यशस्वी जीवन की कामना करते हुए इस प्रयास की सफलता के लिये अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ। -सुन्दरलाल पटवा भोपाल सभापति, लोक लेखा समिति, ३० अक्टूबर '८७ म. प्र. विधानसभा मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अध्यात्मयोगिनी महासती श्री उमराव कुंवरजी म. सा. अर्चना अपने साधनामय दिव्य जीवन के पचास वर्ष पूर्ण कर रही हैं व इस स्वर्णिम अवसर पर उनकी सेवानों के उपलक्ष में एक अभिनन्दन ग्रन्थ भी समर्पित किया जा रहा है। ____ महासतीजी म. सा. अर्चना का अर्धशताब्दी का संयममय जीवन निश्चय ही ज्योतिर्मय प्रकाशस्तम्भ है। मुझे विश्वास है प्रस्तावित अभिनन्दन ग्रन्थ अध्यात्म-जगत में साधक साधिकारों को प्रात्मोत्कर्ष की दिशा में सदैव प्रेरित करते हुए जन-जन को प्रभावित करेगा। प्रकाशन की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ। -महेन्द्रकुमार भील जयपुर राज्यमंत्री, नागरिक खेलकूद, सुरक्षा, गहरक्षा एवं ३० मई १९८७ खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग, राजस्थान यह जानकर प्रसन्नता हुई कि महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. अर्चनाजी की दीक्षास्वर्णजयन्ती पर 'वन्दन-अभिनन्दन' ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। ऐसे सिद्ध साधकों के वंदन और अभिनन्दन से भक्त तथा साधकगणों का मनोबल बढ़ता है और उन्हें भविष्य में भी प्रेरणा मिलती रहेगी । अतः इस प्रायोजन के पूर्णरूपेण सफल होने की कामना करता हैं और प्राशा करता है कि इससे साधकों के लिये भविष्य में भी निरन्तर प्रेरणा का मार्ग खल जावेगा। -रघुबीरसिंह निदेशक श्री नटनागर शोध संस्थान, सीतामऊ (मालवा) आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की अर्चनार्चन / १० lain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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