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________________ सम्पूर्ण संस्कृतियों की सिरमौर ___ भारतीय संस्कृति प्रात्मबन्धुओ! संस्कृति किसी भी देश अथवा जाति की आत्मा होती है। इसके द्वारा उन समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनकी सहायता से देश अपने सामाजिक अथवा सामूहिक जीवन के प्रादर्शों का निर्माण करता है। संस्कृति किसी भी मानवसमूह के उन उदात्त गुणों को प्रकट करती है, जो मानव-जाति में सर्वत्र पाए जाने पर भी उस समूह की विशिष्टता के सूचक होते हैं और जिन पर उनके जीवन में अधिक जोर दिया जाता है। किसी भी देश या राष्ट्र का अस्तित्व उसकी संस्कृति के कारण बना रहता है । यह कहना भी अनुचित नहीं है कि संस्कृति के उदयास्त से ही राष्ट्र का भी उदयास्त होता है। संस्कृति का स्वरूप - संस्कृति शब्द का उद्गम 'संस्कार' शब्द से हुआ है 'संस्कार' का अर्थ वह क्रिया है, जिससे वस्तु का मल दूर होता है अथवा उसके दोष दूर होकर वह-शुद्ध-सिद्धि-साधक बनती है। इसका महत्त्व बताते हुए कहा गया है: 'जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते' यहाँ 'द्विज' शब्द से सामान्यतया व्यवहार में लिया जाने वाला ब्राह्मणशब्द से तात्पर्य नहीं है अपितु व्यापक और सही अर्थ है दुबारा जन्म लिया हा यानी रूपान्तरित किया हुआ। मनुष्य जन्म मे कोरी स्लेट के समान होता है, वह चाहे किसी भी देश का हो एक सरीखे शरीर, मन तथा इन्द्रियाँ रखता है, किन्तु जब उसमें परम्परागत उत्तम संस्कार गुरुजनों के द्वारा डाले जाते हैं, तब उसको द्विज अथवा पुनर्जन्म प्राप्त किया हया कह सकते हैं। ईसामसीह ने बाइबिल में कहा है: "मैं निश्चयपूर्वक कहता हूँ कि जब तक मनुष्य का दुबारा जन्म न हो, वह परमात्मा के दर्शन नहीं कर सकता।" यहाँ दुबारा जन्म मे तात्पर्य मृत्यु के बाद के पुनर्जन्म से नहीं, किन्तु इसी जन्म में प्रात्मा की अवस्था के सुधार अथवा संस्कारित होने से है। तथा परमात्मा के राज्य' से अभिप्राय 'सत्य एवं पवित्रता' के उन दिव्य तथ्यों से है, जिनका पालोक अन्तरात्मा से प्रकट समाहिकामे समणे तवस्सी - जो भ्रमण समाधि की कामना करता है, वही तपस्वी है।" 69 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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