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________________ . अ - र्च ना र्च न . तृतीय खण्ड _ल 47 4 जान लेता है। फिर ईश्वर या परमात्मा दूर कहाँ है ? घट-घट वासी है वह तो, फ़िर उसे पुकारने की क्या ज़रूरत है ? इतना अवश्य है कि परमात्मा का निवास उसी घट या आत्मा में होता है जो दोषों से खाली हो और निर्मल हो। एक छोटा सा उदाहरण हैराम खाली पीपे में है एक संन्यासी घूमते-घामते किसी व्यापारी की दूकान पर पहुँच गए । दुकानदार ने उन्हें देखकर नम्रता से पूछा "फ़रमाइये महाराज ! क्या चाहिए आपको ?' संन्यासी ने सहज भाव से उसकी दुकान में रखे हुए पीपों की ओर इंगित करते हुए . पूछा 5 ल "इन कनस्तरों में क्या-क्या है ?" व्यापारी ने क्रमशः उनमें जो-जो था. बताना प्रारम्भ किया--"इसमें दाल, इसमें चावल, इसमें चना और इसी प्रकार कई वस्तुओं के नाम बताकर एक डिब्बे की ओर संकेत करते हुए कहा- "इसमें राम-राम है।" संन्यासी यह सुनते ही चौंक पड़ा और बोला"राम-राम से क्या अभिप्राय है तुम्हारा ? मैं समझा नहीं।" व्यापारी ने कहा-"महाराज ! राम ही राम है, इसका अर्थ यह है कि इसमें और कोई वस्तु नहीं।" यह सुनते ही संन्यासी ने हर्ष-विह्वल होकर व्यापारी के दोनों हाथ पकड लिये और कहा-"भाई ! तुम मेरे गुरु हो। जो मैं आज तक नहीं जान सका वह रहस्य मुझे तुमने समझा दिया है।" अब चौंकने की बारी दुकानदार की थी। वह चकित होकर बोला--"मैंने ऐसा कौन सा पाठ पढ़ा दिया आपको ? पाप तो स्वयं ज्ञानी हैं। हमारे गुरु हैं। खाली कनस्तर में राम हैं, केवल इतना कह देने से आप इतने प्रसन्न क्यों हो रहे हैं ? "अरे ! मैं वर्षों से जिस तत्त्व की खोज में था वह आज तुम्हारे द्वारा ही तो मुझे मिला है।" व्यापारी कुछ नहीं समझा । वह दिग्मूढ़ सा प्रश्नवाचक दृष्टि से आँखें फाड़े संन्यासी की अोर देखता रहा । तब संन्यासी ने ही उत्तर दिया "भाई ! तुम्हारे कारण ही आज मेरी समझ में आया है कि जिस प्रकार खाली पीपे में राम हो सकता है, इसी प्रकार खाली पात्मा में परमात्मा रह सकता है। प्रात्मा में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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