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________________ Vatate ESED ANSWARA अर्चनार्चन २१८ २३१ २३६ २४३ २४६ २५४ २५९ २६९ २७६ २९३ २९६ मध्यकालीन राजस्थानी काव्य के विकास में कवियित्रियों का योगदान डॉ. शान्ता भानावत मेवाड़ में संस्कृत साहित्य की जैनपरम्परा डॉ. प्रेमसुमन जैन कर्माशय एवं उनका योग म. म. डॉ. ब्रह्ममित्र अवस्थी धार्मिक रहस्यवाद में दिक-काल-बोध डॉ. वीरेन्द्रसिंह प्राकृत बोलियों की सार्थकता डॉ. जगदीशचन्द्र जैन ध्येय-प्राप्ति का हेतु 'भावना' डा. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' मन-एक चिन्तन-विश्लेषण लक्ष्मीचन्द्र 'सरोज' संस्कृत-साहित्य के विकास में जैनाचार्यों का योगदान डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल साधना की सप्राणता-कायोत्सर्ग रमेशमुनि शास्त्री श्रमण-साधना डॉ. शोभनाथ पाठक जैनधर्म में ईश्वरविषयक मान्यता डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया जैनधर्म में प्रात्म-विज्ञान जशकरण डागा प्राचार्य हरिभद्रसूरि का गृहस्थाचार डॉ. पुष्पलता जैन अंधविश्वास एवं मिथ्या-मान्यताओं के । निवारण में नारी की भूमिका माया जैन जैनधर्म में अहिंसा डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव आज के जीवन में अपरिग्रह का महत्त्व डॉ. हुकुमचन्द जैन धर्म की दिशा डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित जैन आगमों में आयुर्वेद विषयक-विवरण डॉ. तेजसिंह गौड़ जैनधर्म में समतावादी समाज-रचना के प्रेरक तत्व डॉ. निजामउद्दीन तत्वचिन्तन के सन्दर्भ में अनुभूतिपरक सत्य का एक अद्भुत उपक्रम प्राचार्य डॉ. सी. एल. शास्त्री The Jain Mathematical Philosophy Prof. L. C. Jain. Definition of the living in Jain Cannons : An Evaluation N. L. Jain. Op Geometry of Jambūdvipa Dr. S. S. Lishk ३०० ३०७ न ३१५ ३२१ ३२२ ३२५ ३३० ३३९ 348 356 375 आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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