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________________ अर्चनार्चन पंचम खण्ड योग-साधना महासती श्री उमरावकुंवर 'अर्चना' पंचविध ध्यान-पद्धति : स्वरूप, विश्लेषण पातंजल-योग और जैनयोग-एक तुलनात्मक विवेचन वीतरागयोग जैनसाधना-पद्धति में ध्यान ध्याता, ध्यान और ध्येय ज्ञानार्णव में ध्यान का स्वरूप जैनदर्शन और योगसाधना योगदृष्टिसमुच्चय : एक विश्लेषण आचार्य हरिभद्रसूरि और उनका योग-विज्ञान प्रेक्षाध्यान और शक्ति-जागरण जैन परम्परा में ध्यान ज्ञानार्णव-एक विश्लेषण धर्म-साधना में चेतनाकेन्द्रों का महत्त्व योग : स्वरूप और साधना-एक विवेचन हठयोग-एक व्यष्टि-समष्टि विश्लेषण योग और परामनोविज्ञान महर्षि अरविन्द की सर्वांगयोगसाधना योग और उसकी प्रासगिकता योग का विज्ञानीय स्वरूप योग-आसनों की प्रासंगिकता : विशिष्टता 'तान्त्रिकयोग'-स्वरूप एवं मीमांसा मसीही योग योग और आयुर्वेद योग क्यों? योग के षट्कर्म एवं रोगनिवारण वर्तमान युग में योग का नारी पर प्रभाव डॉ. लालचन्द्र जैन कन्हैयालाल लोढा कन्हैयालाल गौड़ आर्या सुप्रभाकुमारी 'सुधा' डॉ. प्रेमसुमन जैन कमला माताजी प्राचार्य डॉ. सी. एल. शास्त्री डॉ. हरीन्द्रभूषण जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ धर्मीचन्द चोपड़ा आचार्य डॉ. सी. एल. शास्त्री श्रीचन्द सुराना 'सरस' साध्वी मुक्तिप्रभा डॉ. श्यामसुन्दर निगम प्रह्लादनारायण वाजपेयी ब्रजनारायण शर्मा डॉ. विश्वंभरनाथ उपाध्याय डॉ. वीरेन्द्र शेखावत शान्तिलाल सुराना डॉ. रुद्रदेव त्रिपाठी डॉ. एलरिक बारलो शिवाजी प्राचार्य राजकुमार जैन डॉ. नरेन्द्र शर्मा 'कुसुम' डॉ. बी. के. बान्द्रे डॉ. श्रीमती मायारानी आर्य onor orarwar १६६ १७५ १७७ १९२ १९७ २०० २०३ २०९ 2MWWo० ० ० धम्मो दीटो संसार समुद्र में धर्म ही दीप है __www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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