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________________ द्वितीय खण्ड | २२६ कराने के लिए मेरी अनुपस्थिति में ले गये हों । मेरी आँखें नम हो गयी थीं । म० सा० श्री ने आत्मीयता के साथ धैर्य बंधाते हुए कहा, 'विश्वास रखो सब ठीक हो जायेगा।' म० सा० ने नवकार मन्त्र के जाप की जो विधि बताई थी, उसे श्रद्धापूर्वक ध्यान में रखकर मंगलपाठ सुनकर जावरा आ गये। मुझे अट विश्वास था कि निश्चित लाभ होगा । डाक्टर से अनुरोध कर मैंने आपरेशन कुछ दिन के लिए स्थगित करवा दिया। लगभग आठ दिन में ही नवकार मन्त्र के जाप से नारंगी जितनी गाँठ छोटी सी रह गई । इसी अन्तराल में मैं तीन बार म० सा० की सेवा में पहुंच चुका था। आशातीत लाभ होने पर मैं श्रीमती कुसुम को लेकर सपरिवार म० सा० को सेवा में उपस्थित हुआ। श्रीमती कुसुम अब बिल्कुल स्वस्थ हैं । महासतीजी के प्रति मेरा हृदय श्रद्धा से प्राप्लावित है। यदि नवकार मंत्र की शक्ति के साथ सन्तों का आशीर्वाद भी हो तो असाध्य रोग भी बिना कष्ट दिए दूर हो जाते हैं. मैंने भी सुना मांगलिक C. कु. निर्मला सुराणा, अजमेर महासती उमरावकुंवरजी 'अर्चना' म० सा० का नाम लेते ही उनके द्वारा किये गये अनेक उपकारों की स्मृति मन में उभर आती है । मैं उदर की असह्य पीड़ा से ग्रस्त थी । बहुत से डाक्टर, वैद्य और हकीमों से उपचार कराया परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। कई बार अस्पताल में भी दाखिल हुई लेकिन 'मर्ज बढ़ता गया, ज्योंज्यों दवा की' कहावत चरितार्थ हुई। रात्रि में दुःस्वप्न भी घेरे रहते। मेरे पिताजी मझे श्री 'अर्चना' जी म. सा. के पास ले गये। म० सा० ने मुझे नवकार मंत्र का जाप करने के लिए कहा और मांगलिक सुनाया। नवकार मंत्र और मांगलिक की शक्ति से मेरी बीमारी समूल नष्ट हो गयी । मेरी मान्यता है कि पवित्र जीवनपथ पर चलने वाले सन्तों के आशीर्वाद में अनेक उपलब्धियाँ होती हैं। मैं म० सा० श्री के दीर्घ जीवन की मंगलकामना करती हूँ। अनूठी आभा - उगमकुंवर मेहता, किशनगढ़ अध्यात्मयोगिनी काश्मीर-प्रचारिका श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चना' म० साल के अलौकिक व्यक्तित्व एवं भावप्रवण वाक्शक्ति ने जैन, अजैन सभी को सम्मोहित किया है । किशनगढ़ का तो कण-कण आपके प्रभाव से उपकृत है। सभी लोग विस्मित हो गये जब नगर के मुस्लिम भाइयों और श्री जालिम बाबू स्टेशन मास्टर ने आपके किशनगढ़ चातुर्मास के लिए सत्याग्रह किया। किशनगढ़ में परस्पर Jain Educatio international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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