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श्रद्धानत सिर । तेजराज चोरडिया, मद्रास
अत्यन्त हर्ष के साथ मैं अपने हृदयगत भावों कोव्यक्त कर रहा हूँ। पूज्य गुरुणी श्री अर्चनाजी की दीक्षा हमारे गाँव नोखा में हुई और वह भी पूज्य पिताजी श्री हीरालालजी चोरडिया की सदमेहनत से । आपकी आज्ञा प्राप्ति में बहत कठिनाई का सामना करना पड़ा । प्रमुख रूप से मेरे पिताजी सहित ११ सदस्यों का शिष्टमण्डल दोराई गाँव (अजमेर) गया और बहुत मुश्किल से दीक्षा के दो दिन पूर्व प्राज्ञा लिखवाई गई। उस समय जनता में बहुत जोरों से चर्चा थी कि यह बाई ६ महीने भी संयम का पालन नहीं कर सकती । कारण कि अवस्थानुसार चंचलता जो थी, पर आज हमें गर्व है कि आपकी चतुर्दिक कीर्ति कमनीय रूप से परिव्याप्त है। __ हम अपने आपको धन्य समझते हुए हृदय की शत शत - शुभ कामनायें इस मंगल उत्सव पर प्रेषित करते हैं।
सुयोग से स्वास्थ्यलाभ
0 कमला देवी नाहर, अजमेर
मुझे हार्दिक प्रसन्नता है, पूज्य गुरुणीजी श्री अर्चनाजी म. सा. के अभिनन्दनग्रंथ में अपने मन के भावों को लिखने का सअवसर मिला। उनकी कृपा से मैंने स्वास्थ्य लाभ किया, वह मेरे लिए जीवन की अपूर्व घटना है । चौदह वर्ष तक मैं बहुत ही भयंकर रोग से परेशान रही, घबराहट और दिमाग की शून्यता, बेभानी और भी अनेक रोगों से ग्रस्त रही, नाना प्रकार के उपचारों से भी कोई लाभ नहीं हुआ।
सन् १९८२ के चातुर्मास का लाभ हमारे अजमेर संघ को मिला। मेरी भवाजी श्री उम्मेदकुंवरजी म. सा० ने पूज्य गुरुणीजी का मांगलिक सुनने के लिए प्रेरणा दी। मैं नियमित रूप से मंगलपाठ सुनती रही, अब मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ। यह चमत्कार साधनामय जीवन के मंगलपाठ का ही समझना चाहिए। __मैं वीर प्रभु एवं पूज्य जयमलजी म. से मैं प्रार्थना करती हूँ कि महाराज श्री की साधना में शक्ति प्रदान करें, जिससे अनेक श्रद्धालुओं को शान्ति मिले ।
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