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द्वितीय खण्ड / २०८
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ताबीज करवाते तो उसे तोड़कर ऐसा उछालता कि चाहे कितनी ही दूरी हो वह सीधा जाकर तालाब में गिरता। इस प्रकार की अनेकानेक विचित्र हरकतों से पूरा परिवार दुःखी था।
एक बार मेरी पुत्री जो संखवास में ब्याही हुई है, उसने कुंवर हरिसिंहजी से चर्चा की, उन्होंने महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' का मांगलिक सुनाने को कहा । पर मुझे विश्वास नहीं हुआ तो घर से ठकुरानीजी, हरिसिंहजी और मेरी पुत्री इसे बड़ी मुश्किल से जावरा चतुर्मासार्थ विराजित महासतीजी के दर्शनार्थ ले गये । महासतीजी महाराज ने इसका विकराल रूप देखा। अपने भगवान का नाम लेकर मंगलपाठ सुनाया । सात दिन ये लोग वहाँ रहे । पूर्ण स्वस्थ एवं प्रसन्न होकर रणवीर सिंह घर लौटा।
७-८ वर्ष की भयंकर व्याधि से छुटकारा मिला देखकर मेरा मन एवं मस्तिष्क स्वतः ही महाराज के श्रीचरणों में झुक गया और मैं स्वयं पुनः इसे और इसकी माँ को लेकर दर्शनार्थ जावरा पहुँचा । ५-६ दिन सेवा में रहकर हम असीम संतोष और खुशी के साथ अपने गांव लौटे। अब किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं है। मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं जो पूज्य महासतीजी के सम्बन्ध में कहूँ एवं लिख ही सकू।
बस हृदय की शुभ कामना है कि आपकी आयु लम्बी हो और दुःखियों के दुःख निवारण करते रहें।
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