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- महासतीजी की कृपा से भोपाल त्रासदी से बचे एक श्रावक का संस्मरण
रोम-रोम ऋणी Dसुमन जैन, इन्दौर
अपनी माता श्रीमती त्रिशलादेवी की म. सा. के प्रति असीम श्रद्धा को देखकर मैं भी महासतीजी के दर्शनार्थ स्थानक में गया और आपकी प्रेरणा से मेरी धर्म के प्रति रुचि बढ़ने लगी। एक दिन मैंने दर्शन-लाभ लेने के बाद कहा कि मुझे व्यवसाय के सम्बन्ध में बंगलौर जाना है । म० सा० ने रोकते हुए कहा'अभी तुम ८ दिन और मत जाओ ।' मैं स्वभाव से जिद्दी हूँ, लेकिन धर्मप्रभाव के कारण उस दिन म० सा० को प्राज्ञा की अवहेलना न कर सका और जाते-जाते रुक गया। जिस गाड़ी से मुझे बंगलौर जाना था, वह वाया भोपाल होती हई जाती है। उसी दिन भोपाल गैस त्रासदी हई जिसमें हजारों लोग असमय ही काल के ग्रास बन गये। यदि मैं उस दिन उस गाड़ी से भोपाल पहुँचता तो मेरी मृत्यु निश्चित थी क्योंकि मेरा कार्यक्रम उस दिन भोपाल रुकने का था। हमारे परिवार ने शान्ति की सांस ली और हम उसी समय म० सा० श्री की सेवा में पहुँच गये । जब मैंने भावविह्वल वाणी में कहा-म० सा० मैं आपकी कृपा से बच गया । तब आपने अत्यन्त सहज भाव से कहा-'जब अपना पुण्य प्रबल और आयु लम्बी होती है तो मनुष्य किसी न किसी निमित्त से बच ही जाता है ।' आपके प्रति हमारी आस्था इतनी प्रबल है कि आपके आदेश के बिना हम कोई नया काम प्रारम्भ नहीं करते । हम नियमित रूप से म० सा० के निर्देशानुसार जप-तप और प्रत्याख्यान करते हैं। हमारे जीवन का रोम-रोम सदैव आपका ऋणी रहेगा।
महासती जी के दिव्य प्रताप एवं योगविद्या के प्रभाव से जिनका घर-आंगन खुशियों से महक उठा, उन्हों के शब्दों में प्रस्तुत है यह संस्मरण
परदुखःकातर 'अर्चना' जी श्री देवेन्द्रकुमार जैन एवं श्रीमती रविरानी जैन, इन्दौर
मेरा पूज्य श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चना' महासतीजी से प्रथम परिचय नव. ८३ को महावीर भवन इमली बाजार इन्दौर में हुआ जब आप चातुर्मास की समाप्ति पर विहार करने ही वाले थे। उसका भी कारण यह बना कि उस दिन हमारे माताजी के पैर में चोट लगी हुई थी और उन्होंने मुझसे महासती 'अर्चना' जी के दर्शन करने के लिए कहा।
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