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________________ निस-दिन म्हारे मन बसोजी ज्यू फूलों में बास. दिव्य अनुभूतियाँ बहिन विनयवती, इन्दौर पूजनीया गुरुवर्या महासती श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चना' म० सा० का सन् १९८३ में चातुर्मास महावीर भवन में हया था। इन्दौर के इतिहास में यह ऐतिहासिक घटना थी, क्योंकि इसके पूर्व इस भवन में किसी भी जैन साध्वी का चातुर्मास नहीं हुआ था अतः म० सा० श्री के चातुर्मास से संघ में बहुत उत्साह था। अन्य श्रावक और श्राविकाओं की भाँति मैं भी आपके प्रवचन सुनने नियमित रूप से जाने लगी। आपसे प्रेरणा पाकर मैंने ध्यान लगाना भी शुरू कर दिया। मैं जैसे ही सामायिक लेकर बैठती, मेरी आँखें बन्द हो जाती और नाना प्रकार के दृश्य दिखाई देने लगते । कभी कोई देवी दही का कटोरा लेकर म. सा. श्री के चरणों में चढा रही होती, कभी केसर की वर्षा होने लगती। कभी धुंघरुषों की आवाज सुनाई देने लगती तो कभी लगता कि कोई दिव्य पुरुष प्राकाशमण्डल से उतर कर म. सा. श्री के पीछे खड़ा है। कभी आपके ललाट से सूर्य और चन्द्र की ज्योति फूटती हुई दिखाई देती । ऐसे अन्यान्य दृश्य दो क्षण के लिए मेरी आँखों के समक्ष पाते और मैं हैरान हो जाती । इससे पूर्व मैंने अनेक संतों के प्रवचन सुने किन्तु ऐसा कभी नहीं हुया । मैंने जब-जब इस रहस्य को जानने की जिज्ञासा प्रकट की, 'गुरुणी सा० ने यही कहा–'तुम्हारे मन में धर्म के प्रति श्रद्धा है, स्वभाव में सरलता है इसीलिए ऐसा होता होगा।' यह रहस्य आज भी यथावत् है । मेरी अन्तरात्मा कहती है कि यह महासतीजी की दिव्यसाधना का ही सुफल है । मैं जब-जब आपके नाम का जाप करती हूँ, श्रद्धा से मेरा हृदय भर जाता है और मस्तक झुक जाता है। 'जब एक सर्प बालक की भांति म० सा० की आज्ञा का पालन करने लगा' इस घटना पर आधारित एक श्राविका का संस्मरण. सत्य को समझने की सत्प्रेरणा श्रीमती त्रिशलादेवी जैन, इन्दौर अध्यात्मयोगिनी, मालवज्योति, श्रमणीरत्न श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चना' म० सा० के १९८३ के महावीर भवन इन्दौर में हुए चातुर्मास ने अन्यान्य लोगों के हृदय में धर्म के प्रति आस्था को प्रबल किया। भारी संख्या में जैन और अजैन Jain Education International For Private & Personal Use Only vidyainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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