SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 345
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सन्तों का हृदय हर्ष-विषाद की सतह से ऊपर उठ जाता है. समता की कसौटी पर खरी 0 रिखबराज कर्णावट एडवोकेट, जोधपुर महासती श्री उमरावकुंवरजी महाराज "अर्चनाजी" में ज्ञान व क्रिया का अद्भुत सामञ्जस्य है । सौम्यता, मिठास व समता उनके स्वाभाविक गुण हैं अथवा उन्होंने अपनी साधना व अभ्यास से इन गुणों को प्राप्त किया है । मुझे स्मरण है, उनकी कुछ डायरियां जिनमें आपके स्वाध्याय व चिन्तन के संक्षिप्त भाव लिखे थे, कहीं रास्ते में गिर गये। एक अजैन को वह डायरियां मिलीं । जैनधर्म की बातें देखकर उस व्यक्ति ने वे डायरियां मेरे सुपुर्द कर दीं। मैंने कुछ समय बाद जैन स्थानकों में इसकी सूचना करा दी। जो सूचना महासतीजी अर्चनाजी को भी मिल गई। मुझे सन्देश मिला कि अर्चनाजी की नेश्राय की वे डायरियां हैं। मैं उनको लेकर सतीजी के पास काफी दिन बाद पहँचा और सतीजी को डायरियां समर्पित की। मुझे लगा कि सतीजी ने अपनी अथक लगन से जो डायरियाँ तैयार की, उनके खो जाने का न तो कोई शोक था न उनके मिलने का हर्ष । उन्होंने उन डायरियों को बिना किसी ऊहापोह के ग्रहण किया । मुझे लगा कि सतीजी मोह की कुण्ठा से ग्रस्त नहीं थीं। अपनी प्रिय वस्तु के वियोग ने और पनः संयोग ने उनको उद्वेलित नहीं किया। राग अवस्था की निर्बलता देखकर मेरे मन में सतीजी के प्रति श्रद्धा के भाव और भी सुदृढ़ हो गये । मुझे लगा कि कभी न कभी गीता में वर्णित स्थितप्रज्ञ के लक्षणों से सम्पन्न होंगी और अपने जीवन से जन-जन की प्रेरणास्रोत बनेंगी। मैं उन की दीर्घायु की कामना करता हूँ। महासतीजी के अपार्थिव स्वरूप से सम्बन्धित अनुभवों को लेखिका ने प्रस्तुत किया है. ध्यान....निजी अनुभव । श्रीमती इन्द्रकुवर भण्डारी मेरे हृदय-मन्दिर में हर समय रहने वाली अध्यात्मयोगिनी महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा० 'अर्चनाजी' जो मेरी पूजनीया गुरुणीजी हैं, जिनका Jain Educatio international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy