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महासती श्री अर्चना' जी की काव्य-साधना / ७९ सम्पादित पुस्तिकाओं के नाम हैं-पंचामृत, श्रद्धासुमन, समाधिमरण-भावना (जीवन-संध्या की साधना) आदि ।
इस प्रकार 'अर्चना' जी ने, अपने श्रमण-जीवन के महनीय पचास वर्षों में अध्यात्मसाधना के साथ जो काव्यसाधना की है, वह प्रशंसनीय तो है ही, उससे निःसंदेह, उनका अध्यात्म-मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
मैं सती-प्रवर उमरावकुंवरजी 'अर्चना' महाराज की दीक्षा-स्वर्णजयन्ती के अवसर पर भगवान् जिनेन्द्रदेव से उनके काव्यसाधना एवं अध्यात्मसाधना के निर्बाध प्रवर्तन-प्रवर्धन के साथ उनके कल्याणमय शतायु-जीवन की कामना करता हूँ।
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