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________________ आपकी प्रेरणा से चल रही विविध संस्थाएँ आपश्री के आध्यात्मिक समाजसुधारक और साहित्यकार तिमंजिले व्यक्तित्व का प्रमाण हैं महासती की प्रेरणा से स्थापित संस्थाएँ . साध्वी सुप्रभाकुमारी 'सुधा' वैसे तो संस्थाओं की स्थापना कई साधु-साध्वियों, व्यक्तियों अथवा समाज के द्वारा होती आ रही है। अधिकांश संस्थानों का लक्ष्य समाज-सुधार, धार्मिक जागति, साहित्य प्रचार, आर्थिक व्यवस्था और आत्मविकास आदि ही होता है। किन्तु कुछ संस्थाएँ ऐसी भी होती हैं जिनका कार्य निम्न वर्ग की सहायता की आड़ में अपने निर्माताओं का किसी विशिष्ट उद्देश्य को ध्यान में रखकर प्रचार करना होता है । बहुत ही कम संस्थाएँ ऐसी होती हैं जो अपने मूल उद्देश्य को लक्ष्य कर अपना कार्य सम्पादन करती हों, ऐसी संस्थाएँ अपने स्थापनाकर्ता के प्रति समर्पित तो रहती ही हैं किन्तु उनकी प्रशंसा, प्रचार और आत्मश्लाघा से दूर रहकर निलिप्त, निस्वार्थ भाव से अपना काम करती रहती हैं । ऐसी संस्थानों के सुचारु रूप से चलते रहने का एक महत्त्वपूर्ण कारण उनके ईमानदार, निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता हैं। पूजनीया गुरुणीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' को जब भी अवसर मिला, जहाँ भी संघ की भावना देखी वहाँ संस्था की स्थापना करने में अपना मार्गदर्शन प्रदान किया है। वैसे मूलत: पापका प्रिय विषय योग-साधना है और इसकी जानकारी के लिये साधकों से मिलते रहना, उनसे नवीन तथ्य, पद्धतियाँ प्राप्त करना आपके स्वभाव का एक अंग बन गया है। साधना की ऊँचाई पर पहुँच कर भी आप अपने विनम्र स्वभाव के कारण अभी भी अपने आपको उस श्रेणी में नहीं मानती हैं। पू. गुरुणीजी म. सा. की रुचि दीन-हीन जरूरतमंदों की सहायता करना, अध्ययन-अध्यापन और साहित्य-सृजन में है। अपनी साधना के समय के अतिरिक्त समय का उपयोग आप अध्ययन-अध्यापन एवं साहित्य-सृजन में करती हैं। आपकी सेवा में दर्शनाथियों का भी निरन्तर अावागमन बना रहता है। आप दर्शनार्थियों को भी कभी निराश नहीं करतीं और उनकी जिज्ञासानों का समुचित समाधान देती हैं तथा उन्हें स्व-अजित धन का सदुपयोग करने के लिये भी प्रेरणा देती रहती हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only Miw.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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