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________________ द्वितीय खण्ड / ४२ आपके सम-सामयिक उपदेशों से प्रभावित होकर प्रेरणा प्राप्तकर आपके मार्गदर्शन में कई स्थानों पर संस्थाएँ स्थापित हुई हैं, जो आज सभी अपने-अपने लक्ष्यों के अनुरूप निरन्तर विकास की ओर अग्रसर हैं । आपके मार्गदर्शन में स्थापित कुछ ऐसी संस्थाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैस्व. युवाचार्य श्री मधुकर मुनि स्मृति सेवा ट्रस्ट [मद्रास] इस संस्था का मुख्य उद्देश्य उनके शिष्य-शिष्याओं की तथा विरक्त भाईबहनों की शिक्षा के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार उपचार आदि की व्यवस्था करना भी है । अपने उद्देश्य के अनुरूप यह संस्था समुचितरूप से सेवाकार्य कर रही है । स्वधर्मी एवं मानव सेवा समितियाँ १. मुनि श्री मांगीलाल स्मृति सहयोग समिति (मद्रास) २. स्वधर्मी सहयोग समिति तबीजी (अजमेर) ३. स्वधर्मी सहयोग समिति (दादिया) ४. स्वधर्मी सहयोग समिति (किशनगढ़) ५. महावीर सेवा समिति (जोधपुर) ६. स्वधर्मी सहयोग समिति (महामन्दिर) ७. स्वधर्मी सेवा समिति (उदयपुर) ८. मानव सेवा समिति (नागौर) ९. पार्श्वनाथ सहयोग समिति (खाचरौद) १०. स्वधर्मी सहयोग समिति (अजमेर)। उपरोक्त सभी समितियों का उद्देश्य बिना किसी जाति एवं धर्म के भेदभाव के साधनहीन लोगों की, अर्थात् जरूरतमंदों की सहायता करनी है और आज दिन तक उद्देश्यानुसार सहयोग देती आ रही हैं। ___ अजमेर सेवा समिति स्वधर्मी एवं मानव सेवा के अतिरिक्त अन्य सेवा कार्य भी कर रही है, जैसे-आयंबिल खाता, भूखों को भोजन, पशु आदि के लिये भी घास रोटी की व्यवस्था करती है। सुसंस्कार हेतु धार्मिक मण्डलों का गठन १. श्री मल्ली भगवती महिला मंडल (अलवर) २. धार्मिक पाठशाला (महामंदिर) ३. श्री ब्राह्मी महिला मंडल (जम्मू) ४. श्री चन्दना महिला मंडल ५. श्री अर्चना किशोर मण्डल (जानकीनगर–इन्दौर) ६. श्री बालवाडी (उज्जैन) ७. श्री पार्श्वनाथ स्वाध्याय मण्डल ८. श्री पार्श्वनाथ किशोरी स्वाध्याय मंडल (खाचरौद) । और भी अनेक पुस्तकालय खुले हुए हैं। प्रस्तुत मंडलों के गठन का उद्देश्य बालक-बालिकाओं, युवक-युवतियों, महिलाओं में धार्मिक सुसंस्कार उत्पन्न करना, चारित्रिक गुणों का विकास करना है। उद्देश्य के अनुरूप सभी स्थानों में धार्मिक जागृति का कार्य बराबर चल रहा है। प्रतिवर्ष प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। ___ इस प्रकार हमने देखा कि पूजनीया गुरुवर्या श्री अध्यात्मयोगिनी काश्मीर-प्रचारिका, परम विदुषी महासतीजी श्री 'उमरावकुंवरजी' म. सा. 'अर्चना' ने जितनी भी संस्थानों की स्थापना हेतु प्रेरणा दी है, वे सभी धार्मिक अध्ययन Jain Educatio Thternational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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