________________
अध्यात्मयोगिनी महासती श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चना'
- चन्दनमल बनवट, आष्टा
गुणानुवाद
आपने अनेक श्रावक श्राविका निर्माण कर, श्रमणोपासक धर्म का कर दिया संचार है। सुधारे अनेक संघ-संगठन सूत्र दे के, बुझा के कषाय लाय कर दिया उद्धार है। कई भव्य आत्माएँ, बनी मार्ग अनुसारी, पिलाया अध्यात्म अमृत मिटा कर्मक्षार है। 'चंदन' के बंधन भी काट देव कृपा कर, प्राष्टा पधारें पाप विनती बार बार है ।
मध्यभारत अंचल में छह वर्षावास कर, किया ऐतिहासिक जिन धर्म का प्रचार है। भीड़ सी लगी है भव्य भक्तों की मालवा में, मालवा के वासियों का हुअा उपकार है। दीक्षाएँ, तपस्याएँ हुई इन चौमासों में, पागम साहित्य का प्रकाशन अपार है। धर्म नगरी मालव की सिद्धसेन दिवाकर की, उज्जैन चौमासा हुआ दूसरी बार है ।
[३] मरुधरा हीरक प्रकाशपुंज पूज्यवर, जयमल्लाचार्यजी की ज्योत्स्ना की धार हैं। महामुनि बृजलाल "वज्र तप" साधना, आराधना की मोहक, छवि मनोहार हैं। युवाचार्य, बहुश्रुत पंडित मधुकरजी की, मिश्री सी माधुरी व प्यार की बहार हैं। अध्यात्मयोगिनी, अवन्ती चौसठ योगिनीसी, प्रवचन गंजते ज्यों वीणा की झंकार हैं।
उग्र तपस्विनी "उम्मेद" की गूरुणी पूज्य, तपोधनी 'उमराव' श्रमण संघाधार हैं। साहित्य सुधानिधि के शुभ्रतम फेन वत्, कल्पवृक्षबेलि, कामधेनु दुग्धधार हैं। राजस्थान, दिल्ली, हरयाणा व पंजाब घम, कश्मीर में केसर सा लुटाया खुब प्यार है। हिमालय हिमखण्ड शिखर सी स्वच्छ श्वेत, 'अर्चना' हिमवान सुता गंगा की धार है।
मानवता की देवी 'अर्चना' तुम्हें नमन
0 नवरत्नमल नाहर, उज्जैन साक्षात प्रतिमूर्ति 'अर्चना' चन्दनबाला सा स्वरूप, महावीर की प्रचारिका अहिंसा-सत्य की तस्वीर (१) शत-शत नमन जिनेन्द्र दूत तुम्हें तुम शांति-प्रेम-करुणा की देवी, मानो गंगा यमुना और कावेरी, जन-गण-मन की आशा 'अर्चना' (२) तुम सूर्य की तरह तेजस्वी, तुम गगन की तरह विशाल । जियो और जीने दो 'अर्चना' कहती श्रावक और श्राविका से आज (३) मंगलमय दीक्षा दिवस पर शत-शत वन्दन और नमन। दीर्घायु की करते कामना मानवता की देवी 'अर्चना' तुम्हें नमन (४)
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org