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दीक्षा-स्वर्गजयन्ती आई ____ डॉ० नरेन्द्रसिंह
0 डॉ० नरेन्द्रसिंह
दीक्षा की स्वर्णजयन्ती आई, तप औ' त्याग की खुशियाँ लाई ।
दादिया गांव में जन्मी ज्योति, माँ अनुपा की अनुपमा बेटी । घर-घर में है जागति लाई,
दीक्षा की स्वर्णजयन्ती आई ।। हर द्वार पर 'अर्चना' दीप जले हैं, मन में श्रद्धा के पुष्प खिले हैं। प्राची से इक नई सुबह आई, दीक्षा की स्वर्णजयन्ती आई ।।
काश्मीर की सुषमा कहती, वह कण-कण में यहाँ रहती। अहिंसा औं' शांति का संदेशा लाई,
दीक्षा की स्वर्णजयन्ती पाई ।। ज्ञान के गहने वह पहने, दर्शन और चारित्र्य जिसकी बहनें। मालवज्योति बन कर लहराई, दीक्षा की स्वर्णजयन्ती आई ।।
सहज सरल औ' कारुण्य मूर्ति, साहस औ' मनोबल की प्रति । योग की नव शैली है लाई, दीक्षा की स्वर्णजयन्ती पाई ।।
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आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
प्रथम खण्ड/४९
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