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बुझे हए उदास दीपों को ज्योति देने वाली महासती "अर्चना"जी की सेवामें प्रेमांजलि श्रीमती प्रेम मेहता
कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल घूम-घूम कर अज्ञान के अन्धकार में भटक रहे मानव-समाज को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करने हेतु कृत-संकल्पा, एक सन्नारी! जिसकी अध्यात्म-साधना, ध्यान-योग एवं तपश्चरण से विश्वाकाश आलोकित है। ऐसी राजस्थान-कुल-किरीटिनी कश्मीर-प्रचारिका सहज, मधुर, सरल स्वभाव करुणा की साक्षात् मूर्ति परमविदुषी, सौम्यहृदया प्रवचन-शिरोमणि महासती श्रीउमरावकुंवरजी म. सा. "अर्चना" के संयममय जीवन की अर्धशताब्दी दीक्षा-स्वर्णजयन्ती पर कोटि-कोटि वन्दन ! अभिनंदन !!
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आई घडी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
प्रथम खण्ड / ४३
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