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जिनशासन कीदीपशिखा-सीविरल तापसी तुम हो, कठिन साधनाध्यानयोग कीदीप्ति रूप आभा हो! उन्हीं "अर्चना" कोभावों केअनगिन सुमन समर्पण ! शत-शत वन्दन ! कोटि-कोटि अभिनन्दन !!
भावांभिनन्दन डॉ. श्रीमती कोकिला भारतीय, खाचरौद
लक्ष्मी हो या दुर्गा हो तुम सरस्वती कल्याणी, शाश्वत-सुख की महाप्रणेता ओ 'अर्चना' सयानी ! गौरवर्ण, चन्दा-सी प्राभा आलोकित है मुखमण्डल, अनुपम, अदभत रूप तुम्हारा ज्ञानाभामय ज्योति कमल । प्रथम दर्श में हुई समर्पित मैं सारी की सारी, शाशत सुख की महाप्रणेता, प्रो अर्चना सयानी ! जीवन मृणाल पर हैं सुरभित शुभ सूगुण राशि के दलशत, झरता अजस्र जीवन प्रपात, तव यूं लगे कि कोई परिजात । हे करुणामयी काव्यरसिक, तव प्रवचनशैली न्यारी । शाश्वत सुख की महाप्रणेता, ओ अर्चना सयानी ! सूरज की कान्ति सी प्रखर, ओ पंच महाव्रतधारी, दया, क्षमा, शम, दम, संयम से संवारक तुम भारी, परमयोगिनी, ध्यानी, ज्ञानी, निर्गुणोपासिका मानी, शाश्वत सुख की महाप्रणेता, ओ अर्चना सयानी ! महाविश्व के पान्थालय में अनन्तप्रवासी पाते, तुझसा एक पथिक पाकर पथ भी पावन हो जाते, विनयानत अर्पित प्रणाम, दीर्घायु हो भो भवानी, शाश्वत सुख की महाप्रणेता, प्रो अर्चना सयानी !
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
अर्चनार्चन /४२
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