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प्रथम खण्ड / ४१
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कोटि-कोटि प्रभिनन्दन
विज्ञान 'भारिल्ल ' बी-कॉम. सी. ए., साहित्यरत्न
शत-शत वन्दन, कोटि-कोटि अभिनन्दन ! रवि किरणों-सीज्योतिपुञ्ज,
हो तपोमूर्ति तुमक्षमाशील धरती-सी ! पावन गंगा की लहरों-सी,
उज्ज्वल
मानसरोवर की -
हंसिनी के पंखों-सी।
अष्ट सिद्धि
नव निधि
जगत में
छाया रूप तुम्हारी,
आर्तजनों की -
करुणा हो तुम - त्यागमयी कल्याणी ।
चरण कमल में
देवि ! तुम्हारे -
बारम्बार नमन !
शत-शत वन्दन !
कोटि-कोटि अभिनन्दन ! वीणापाणी के मन्दिर की
प्रतिमा -
ज्ञानमयी हो;
शारद माँ की—
स्वरलहरी हो,
महावीर के हिमशिखरों सेझरती जिनवाणी हो !
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आई घड़ी अभिनंदन को चरण कमल के वंदन की
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