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________________ अभिनन्दन-गीत डॉ० शोभनाथ पाठक एम. ए. [हिन्दी, संस्कृत] पी-एच. डी. साहित्यरत्न दीक्षा स्वर्णजयन्ती पर, अभिनन्दन भरा प्रणाम है। महासती उमरावकुंवर का, अमर हो गया नाम है ।। जन्मस्थल से ग्राम दादिया, वन्दनीय अभिराम हुआ। उन्निस सौ उन्नीसी संवत्, मंगल वैभववान् हुआ । तिथि सप्तमी हुलस उठी पा, ऐसी अद्भुत थाती को । भरत भूमि भी धन्य हो गई, अर्पित नमन प्रभाती को ।। धरती माँ की गोद भर गई, धन्य हुआ यह धाम है। महासती उमरावकुंवर का, अमर हो गया नाम है । मांगीलाल महान पिता से, महामुनीश्वर कहलाये । माँ अनुपादेवी महिमा से, सचर-अचर सब हर्षाये ।। श्रमण धर्म को मिली साधिका, अतुलनीय आलोक हुप्रा । पांचों व्रत अब निखर उठेंगे, अति हर्षित भूलोक हुा ।। सतत समर्पित जैन जागरण-की सेवा निष्काम है। दीक्षा स्वर्णजयन्ती पर, अभिनन्दन भरा प्रणाम है ।। परम पूज्य सरदारकुंवर से, दीक्षाविधि सम्पन्न हुई । नोखा वसुधा इसी कृपा से, परम पावनी धन्य हुई ।। प्रवचन भ्रमण सतत जनसेवा, चिंतन मनन गहन शिक्षा । दर्शन-धर्म-समाज संवारक, मिली अनेकों को दीक्षा ।। इस वरीयता की विभूति में, चिंतन आठों धाम है । महासती उमरावकुंवर का, अमर हो गया नाम है ।। अभिनन्दन यह ग्रन्थ समर्पित, सती अर्चना का प्रादर्श । ज्ञान-ध्यान उपमान नहीं, धन्य हो गया भारतवर्ष ।। आलोकित अध्यात्म हो गया, सबको सतत संवार मिला। निखर उठी नैतिकताएँ अति, युग को नया उभार मिला ।। महासतीजी की महिमा से, यह युग अति अभिराम है। दीक्षा स्वर्णजयन्ती पर, अभिनन्दन भरा प्रणाम है ।। आई घडी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की अर्चनार्चन / ३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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