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________________ ४ आपके एक सुपुत्र राजकुमारजी एवं दो सुपुत्रियां कु. बीनाजी एवं कु. श्रालोकाजी हैं । आप पूजनीया महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा 'अर्चना' की तेजस्विता, आदर्श जीवनचर्या, तप त्याग, सुलझे हुए विचारों और प्रभावशाली व्यक्तित्व के प्रति श्रद्धावनत हैं । दूर- सुदूर व्यवसाय होते हुए भी प्राप महीने - दो महीने में पूजनीया महासतीजी के दर्शनों का लाभ प्राप्त करने सेवा में उपस्थित हो ही जाते हैं । आप पू. महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के संसार पक्ष में भतीजे के सुपुत्र हैं । आपके जीवन की अनेकानेक विशेषताएँ हैं । यथा - कष्टसहिष्णुता, उदारता, मिलनसारिता, साहसिकता, निर्भीकता, देव गुरु एवं धर्म के प्रति पूर्ण आस्था प्रादि-आदि । आपकी धर्मपत्नी सौ. पारसकुमारी भी पतिपरायणा, धर्मपरायणा सन्नारी हैं और पूरे परिवार के लिये सहयोगदायी हैं । आपका पूरा परिवार धार्मिक प्रवृत्ति से प्रोतप्रोत है । प्रतिदिन परिवार का एक सदस्य आयंबिल करता है | आशा ही नहीं अपितु दृढ़ विश्वास है कि आपका उदार सहयोग हमें समय-समय पर मिलता रहेगा । Jain Education International 00 श्रीमान् (स्व.) कुन्दनमलजी सा. धारीवाल, पाली वीरप्रसविनी राजस्थान धरा के सुप्रसिद्ध पाली शहर के सुप्रतिष्ठित दानवीर सेठ श्रीमान् केसरीमलजी सा. धारीवाल की धर्मपत्नी श्रीमती हुलासबाई की कुक्षि से सं. १९७६ कार्तिक शुक्ला पंचमी को श्रीमान् कुन्दनमलजी सा. धारीवाल का जन्म हुआ । आपका बाल्यकाल देहली में व्यतीत हुआ तथा अध्ययनक्षेत्र भी देहली ही रहा । आपका देहली एवं ब्यावर में 'चाँदमल केसरीमल' के नाम की फर्म से तथा पाली में 'करणीदान चाँदमल ' के नाम से कपड़े का व्यवसाय चलता था । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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