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________________ लक्ष्मी का सदुपयोग करते रहना ही दानवीर, समाजभूषण श्रीमान् जेठमलजी चोरडिया का संक्षिप्त परिचय है। आप अल्पभाषी, सरल और विनम्र स्वभाव के हैं। आपका समस्त परिवार प्राचार्य श्री जयमलजी म. सा. को सम्प्रदाय का अनुयायी है और स्वर्गीय पूज्य गुरुदेव श्री हजारीमलजी म. सा., स्व. उपप्रवर्तक पूज्य स्वामी श्री ब्रजलालजी म. सा., स्व. यूवाचार्य श्री मधूकरमूनिजी म. सा. तथा वर्तमान में पूजनीया महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' आदि के प्रति अनन्य श्रद्धा व भक्ति रखता है । श्रीमान् जेठमलजी सा. समय-समय पर पूजनीया महासतीजी के दर्शनार्थ जहां भी वे विराजित रहती हैं, पधारते रहते हैं। साहित्य प्रकाशन में आपका सहयोग सदैव मिलता रहा है। पू. महासती श्री उमरावकुवंरजी म. सा. 'अर्चना' को दीक्षा-स्वर्णजयंती के अवसर पर प्रकाशित ग्रंथ में आपने सर्वाधिक आर्थिक सहयोग प्रदान कर अपनी उदारता और गुरुभक्ति का परिचय दिया है । इसके लिये हार्दिक धन्यवाद । आपसे भविष्य में समाज को बहुत कुछ आशाएँ हैं । उदारदानदाता श्रीमान् घीसालालजी बम्ब श्रीमान् घीसालालजी बम्ब बहुत ही साहसी और उदारचेता युवक हैं। राजस्थान की वीर- . भूमि शौर्य और साहस तथा तप-त्याग का इतिहास समेटे हुए भारतीय जन-मन का प्रेरणाकेन्द्र रही है। इसी वीरभूमि के किशनगढ़ नगर में आपका जन्म हुआ। अापके पिता का नाम श्रीमान् माणकचन्दजी सा. एवं माता का नाम श्रीमती सोहनबाई है। आपके दो अनुज श्री ज्ञानचन्दजी एवं श्री गौतमकुमारजी और एक बहन सूरजबाई है। वर्तमान में आपका व्यवसाय जयपुर, बम्बई, किशनगढ़, बैंकाक, हांगकांग आदि स्थानों पर है। आप हीरे जवाहिरात का व्यापार करते हैं। __गौर वर्ण, सुडौल शरीर, लम्बा कद, एवं उन्नत ललाट, शारीरिक सम्पदा से युक्त आपका भव्य व्यक्तित्व है । आप स्वभाव से शान्त-दांत, धीर एवं गम्भीर हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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