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अर्चनार्चन
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पंचम खण्ड | २५०
योग निद्रा कहते हैं, शवासन से भी ये लाभ हमें मिलते हैं । निद्रा अच्छी आती है एवम् शरीर बिल्कुल तनावरहित हो जाता है, संधियों को भी विश्राम मिल जाता है। इस प्रकार संधियों की आयु बढ़ती है व जीवन के तनाव को सहन करने की शक्ति व बल मिलता है और मौका आने पर किसी भी भयंकर स्थिति का सामना करने में मदद मिलती है। 'योगः कर्मसु 'कौशलम् । कुशल कार्य करने में स्वस्थ संधियों की अति आवश्यकता है। 'शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' । स्वस्थ शरीर से ही धर्म की साधना सम्भव है । इसलिए अष्टांग योग के पहले चार अंग स्वस्थ - शरीर निर्माण पर ही जोर देते हैं । इसलिए योगसाधना से स्वस्थ शरीर स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाता है ।
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