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प्राई घड़ी अभिनन्दन की
0 जनार्या सुप्रभाकुमारी 'सुधा'
आई घड़ी अभिनन्दन की, चरण कमल के वन्दन की ।।टेर।। हर्ष हृदय में भारी है, यश गावे नर नारी है । चन्दन से शीतल मन की, आई घड़ी अभिनन्दन की। ।।१।। माँ अनपा ने जन्म दिया, मांगीलाल कुल दीप्त किया । जैसे कोकिल ही मधुवन की, आई घड़ी अभिनन्दन की ।।२।। महिमामयी जग जहारी हो, भक्तों के भयहारी हो । रक्षक हो संयम धन को, आई घड़ी अभिनन्दन की ॥३॥ वाणी में अमृत झरता, सूखे दिलों में रस भरता। प्यास मिटाते तन मन की, आई घड़ी अभिनन्दन की ।।४।। जो भी शरण में आता है, श्रद्धानत हो जाता है । दाता हो सुख-साधन की, आई घड़ी अभिनन्दन की ।।५।। जन्म-जन्म रहे संग तेरा, वर चाहे मानस मेरा । 'सुधा' भावना अर्पण की, आई घड़ी अभिनन्दन की ॥६॥
नवां सवेरा । साध्वी सेवावन्ती म.सा. "पंजाबी"
राह दे पत्थर वांग सी जीवन मेरा, तुसां उसने प्यार दे तराशया। टूट गइयां सी दीवारां जिस धर दिया, उसनूं तुसी मुड़ के सवारया ।। जिन्दगी कागज दे फूल वांग सी मेरी, तुसां उसनें महकना सिखाया। मैं थक गयी सी धुप बिच चलदे-चलदे, तुसां थापड़ मैंनूं छांवे सुवाया । हुवा मैं नाल तुवाडे हर पल रहनी हां, रोज इक नवां सवेरा, पूरब बिचों जा मेरे दिल बिच उजाला करदा है ।।
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
00 अर्चनार्चन /
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