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________________ शत-शत अभिनन्दन प्रवचन-शिरोमणि, परमविदुषी महासती श्री उमरावकंवरजी म. सा., 'अर्चना' एक उच्चकोटि की साध्वी हैं। आप उच्च विचारक तथा लेखिका भी हैं । हृदय से बड़ी सरल, प्रतिमृदुभाषी और अपने गुरु, धर्म के प्रति अटल श्रद्धा, भक्ति रखने वाली प्रसन्नमुख और प्राकर्षक व्यक्तित्व की 'साध्वीरत्न' हैं। ये सभी गूण बिरले साध/साध्वियों में ही पाये जाते हैं । हम बड़े भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसी धर्मरत्न साध्वी मिलीं। प्रसन्नता का विषय है कि दीक्षा के ५० वर्ष पूर्ण हो गए हैं । आप शतायु प्राप्त करें, यही वीर प्रभ से विनती करते हुए शत-शत अभिनन्दन करता हूँ। -अमृतलाल जैन चार्टर्ड अकाउण्टेण्टस् उज्जैन मंगलकामना महासती परमविदुषी पूज्या साध्वी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के जीवन का प्रारम्भ से ही धर्मप्रेम, उदारता, राष्ट्रभक्ति एवं मानव सेवा मुख्य उद्देश्य रहा है । आपने जैनधर्म, दर्शन, प्राकृत, हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, गीता, रामायण प्रादि धर्मग्रन्थों एवं भाषाओं का गहन अध्ययन किया है। अापकी प्रवचनशैली बडी रोचक. शिक्षाप्रद, ज्ञानप्रद और समन्वयात्मक है। मुझे बड़ा हर्ष है कि आपकी दीक्षा के ५० वर्ष पूर्ण हो गये हैं । अाप युग-युग तक धर्मपताका फहराती रहें, यही मंगलकामना करता हूँ। -मांगीलाल जैन उज्जैन आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की प्रथम खण्ड / ४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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