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शुभ कामना
भारत की माटी की यह विशेषता है कि यहाँ का मानव प्रारम्भ से ही जीवन पौर जगत् के विषय में चिन्तन करता म्राया है। साधारण से साधारण रष्टिगोचर होने वाला प्राणी भी 'आत्मा' 'परमात्मा' 'लोक' 'परलोक' 'कर्म' तथा 'पुनर्जन्म' की बातें करता है । जीवन की गति प्रगति का रहस्य ज्ञात करने को लालायित रहता है। चिन्तन की यह उत्सुकता, लालसा प्राणी को ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ाती है।
भारतीय सन्त चिन्तनशील, मननशील तो रहे हैं पर साथ ही आत्मदृष्टा भी रहे हैं । गुणवत्ता उनका मुख्य आधार रहा है ।
उसी सन्तपरम्परा का निर्वाह महासती परमविदुषी साध्वी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' कर रही हैं। आपमें वे सभी गुण समाहित हैं । श्राप चिन्तनशील, मननशील तो हैं ही साथ ही आपको अन्य धर्मों का भी विशेष ज्ञान है ।
माप बहुभाषाविद भी हैं। आपकी गम्भीरता, की विशेषता के कारण आपने काश्मीर जाकर जैनधर्म में उल्लेखनीय रहेगा ।
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के अर्चना / ४६ वंदन की
यह भी एक हर्ष का विषय है— आपको दीक्षा के ५० वर्ष पूर्ण होने पर दीक्षा-स्वर्णजयन्ती अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित होने जा रहा है। इस मंगल अवसर पर मैं यह शुभकामना करते हुए हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ कि आप चिरायु रह कर देश और समाज का मार्गदर्शन करते रहें ।
साहस घतुलनीय है और इसी साहस का प्रचार किया, जो धर्म के इतिहास
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- अभयकुमार जैन
एडवोकेट उज्जैन
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