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गुणरत्नों की खान : महासती श्री अर्चनाजी
त्यागी, तपस्वी, काश्मीर-धर्मप्रचारिका, अध्यात्मयोगिनी, परम पंडिता, शास्त्रविज्ञ अनेक भाषाओं के ज्ञाता, कवितासृजनहार, सरस, मधुर गायनकंठी काव्यविनोदी, अनेक पुस्तकों के रचयिता, पीयूषवर्षणी श्री श्री १००७ पर मध्यानी श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चनाजी' म. सा. श्रमणी-संघ की देदीप्यमान ज्योति, श्रमणीरत्न हैं। यह संघ का परम सौभाग्य है।
पू. अर्चनाजी म. सा. का भव्य ललाट, तेजोमय नेत्र, दिव्यदृष्टि, दिव्यमुद्रा, प्रसन्नवदन निर्मल मन, कोमल दयालु हृदय, क्षमा के सागर, दुखियों के दुःख से पीड़ित हो द्रवित होने वाला नवनीत सदश भाव, करुणा के भण्डार, असहायों के सहाय, शान्ति के सागर, सरसता सौम्यता की मूर्ति, सहिष्णता के प्रागार, ज्ञान के निधि, अध्यात्म-ध्यान में निरन्तर विचरण करने वाले ऐसे महान महिमानों से विभूषित महाराजरत्न के पावन चरणों में अापके दीक्षा स्वर्णजयन्ती समारोह के मंगल प्रसंग पर शत-शत वंदन कर यह मंगल कामना है कि गुरुणीजी महाराज साहब की मातृवत् छत्रछाया सदैव बनी रहे और आपकी अमृतमयी रसीली वाणी का सदैव श्रीसंघ व जन जन को लाभ मिलता रहे।
--हिम्मतमल आत्मज आनन्द मल नारेलिया
आजाद चौक, शाजापुर (म० प्र०)
शुभकामना
विगत चार पांच वर्षों से मैं परम विदुषी महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के दर्शन करता आया हूँ। समारोहों के अवसर पर आपके प्रवचन-श्रवण का लाभ भी मिला । आप एक परम विदूषी और चिन्तनशीला साध्वीरत्न हैं। इसके अतिरिक्त पाप ध्यानयोग की भी महान साधिका हैं।।
यह जानकर हादिक प्रसन्नता हई कि इन अध्यात्मयोगिनी महासतीजी की दीक्षास्वर्ण-जयन्ती के अवसर पर एक अभिनन्दनग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है। मैं इस अवसर पर पू. महासतीजी के उज्ज्वलतम भविष्य की कामना करते हुए अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता की हादिक शुभकामना प्रेषित करता हूँ।
-न्यायमूति मुरारीलाल तिवारी अध्यक्ष, म. प्र. औद्योगिक न्यायालय, इन्दौर
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
प्रथम खण्ड /४५
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