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________________ महान साधिका साधक की साधना जब बलवती हो उठती है तब वह स्वयं के लिये नहीं, पर के कल्याण के लिये समर्पित हो जाती है। आज दूरदराज प्रान्तों के दर्शनार्थियों का जब सैलाब आपके प्रत्येक चातुर्मास में उमड़ पड़ता है तो ऐसा लगता है, मानो छोटा-मोटा भारत तो प्रत्येक क्षण आपके इर्द-गिर्द है और यह आपकी उच्चकोटि की साधना का ही परिणाम है, प्राज प्रत्येक जन प्रापश्री के श्रीचरणों में अपने दुःख को विसर्जित कर सुख प्राशीर्वाद के रूप में समेट कर ले जा रहा है। ऐसी महान साधिका को कोटि-कोटि वन्दन करते हुए जिनेश्वर प्रभु से कामना करते हैं कि हमें आपकी दीक्षा की शतायु जयन्ती मनाने का अवसर मिले। -श्रीमती रेखा सुराना, जावरा मंगलकामना प्रसन्नता का विषय है कि कश्मीर-प्रचारिका, प्रवचनशिरोमणि, मालवज्योति श्रद्धेय युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी महाराज साहब की अन्तेवासिनी, अध्यात्म-जगत की परम साधिका परम वन्दनीया महासती श्री उमरावकंवरजी महाराज साहब 'अर्चना' के संयममय जीवन (दीक्षा) की अर्धशताब्दी पूर्ण होने के स्वणिम अवसर पर उनकी सेवा में एक अभिनन्दनग्रन्थ समर्पित होने जा रहा है। परम विदुषी महिमामयी अध्यात्मयोगिनी महासतीजी द्वारा धार्मिक आध्यात्मिक योग-साधना तथा जन-जन के कल्याण हेतु प्रदत्त प्रशंसनीय कार्यों के प्रति यह एक पावन प्रयास है। मैं इस अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन की सफलता की मंगलकामना करता हूँ। - शान्तिलाल जैन मुख्य नगरपालिका अधिकारी, जावरा (म० प्र०) आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की अर्चनार्चन / ४४ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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