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महासती दर्शनप्रभा जी, महासती सुदर्शनप्रभा जी, महासती संयमप्रभा जी, महासती स्नेहप्रभा जी और महासती सुलक्षणा जी ।
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महासती कंचनकुंवर जी - आपका जन्म कमोल गाँव के दोशी परिवार में हुआ था । तेरह वर्ष की आयु में आपका विवाह पादरड़ा में - और चार माह बाद पति का देहान्त हो गया । महासती लहर कुंवर जी के पास दीक्षा ग्रहण की। नांदेशमा ग्राम में सन्थारे के साथ आपका स्वर्गवास हुआ । आपकी शिष्या महासती वल्लभकुंवर हैं जो बहुत ही सेवाभावी हैं ।
महासती सद्दाजी की पाँचवी शिष्या अमृताजी हुईं। उनकी परम्परा में महासती रायकुंवरजी हुईं जो प्रतिभासम्पन्न साध्वी थीं । उनका जन्म स्थान उदयपुर के निकट कविता ग्राम था । आप ओसवाल तलेसरा वंश की थी। इससे अधिक और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है ।
महासती सूरजकुवर जी - आपकी जन्मस्थली उदयपुर थी और पाणिग्रहण साडोल (मेवाड़) हनोत परिवार में हुआ था । अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है ।
महासती फूलकुंवर जी – आपकी जन्मस्थली भी उदयपुर थी। आँचलिया परिवार में आपका पाणिग्रहण हुआ था । अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है ।
महासती हुल्लासकुवर जी - आपका जन्म भी उदयपुर में हुआ था । आपका पाणिग्रहण उदयपुर के हरखावत परिवार में हुआ था । महासती जी के उपदेश से प्रभावित होकर दीक्षा ग्रहण की । आपकी पाँच शिष्याएं हुई - महासती देवकुंवर जो, महासती प्यारकुंवर जी, महासती पदमकुंवर जी, स्थाविरा महासती सौभाग्यकुंवर जी और सेवामूर्ति महासती चतुर कुवर जी । महासती पद्मकुंवर जी की महासती कैलाशक वर शिष्या हुईं।
महासती सौभाग्यकुंवर जी - आप महासती हुल्लासकुंवर जी की चतुर्थ शिष्या हैं । आपका जन्म उदयपुर निवासी मोड़ीलाल जी खोखावत की धर्मपत्नी रूपाबाई की कुक्षि से हुआ था । आप मधुर स्वभावी हैं । आपकी एक शिष्या हुई - महासती मोहनकुंवर जी जिनका जन्म दरीबा (मेवाड़) में हुआ था और पाणिग्रहण बोक में हुआ । वि० सं० २००७ में आपने दीक्षा ग्रहण की और वि० सं० २०३१ में उदयपुर में आपका स्वर्गवास हुआ ।
महासती हुल्लासकुंवरजी की पाँचवी शिष्या महासती चतुरकु वरजी हैं जो सेवापरायणा साध्वी
रत्न हैं ।
महासती रायकु वरजी की चतुर्थ शिष्या हुकुमकुंवरजी थीं। उनकी सात शिष्याएं हुई । महासती भूरकुंवरजी -- आपका जन्म उदयपुर राज्य के कविता ग्राम में हुआ था । पचहत्तर वर्ष की आयु में आपका देहावसान हुआ । आपकी एक शिष्या हुई जिनका नाम महासती प्रतापकुंवरजी था जो भद्र प्रकृति की थीं। लगभग सत्तर वर्ष की आयु में आपका स्वर्गवास हुआ ।
महासती हुकुमकुंवर जी की दूसरी शिष्या रूपकुवर जी थीं जिनका जन्म देवास (मेवाड़) में 'उदयपुर मैं आपका स्वर्गवास हुआ ।
महासती हुकुमकुवरजी की तृतीय शिष्या वल्लभकुंवरजी थीं । आपका जन्म उदयपुर के बाफना परिवार में हुआ था और पाणिग्रहण उदयपुर के ही गेलड़ा परिवार में हुआ था । दीक्षा के बाद आपने आगमों का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। आपकी एक शिष्या हुई जिसका नाम महासती गुलाब कुंवरजी था ।
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हुआ था और
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द्वितीय खण्ड : जीवन-दर्शन
साध्वीरत्न ग्रन्थ
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