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[१५] बहुत दिपाया गुरुणी जी को खुद को बहुत दिपाया है अन्त समय में अनशन करके स्वर्गपुरी को पाया है
विदुषी चार प्रशिष्यायें ये यथा नाम है गुण की खान जैनधर्म के 'श्रमण संघ' की चारों भी हैं सच्ची शान
[१४] जिस में भरा विवेक बहुत हो भक्ति भावना, सेवा-भाव सचमुच ही तो उस साधक की लगी किनारे समझो नाव
निर्मल शम, दम, संयम का कुछ पार नहीं पाया जाता 'चन्दन मुनि' पंजाबी उनकी कैसे गाये यश-गाथा
महासती श्री चम्पाकंवर जी म.
(पंचदशी)
• उपप्रवर्तक श्री चन्दन मुनि म.सा. (पंजाबी)
[१] अग्रगण्य थीं जिन शासन में भाषन में भी आगे और चतुरा 'चम्पाकंवर सती' थीं श्रमणी-मण्डल में सिरमौर
[२] 'फूसालाल' पिता थे प्यारे माता 'किसना बाई थी चम्पांकंवर चान्द का टुकड़ा बेटी जिनने पाई थी
[३] उगनीसौ तिरासी, मिगसरशुकल दूज जब आई थी जन्म 'कुचेरा में ले उसकी किस्मत सुप्त जगाई थी
उसी 'कुचेरा' नगरी में ही सादर दीक्षा धारी थी दो हजार पर पांच पौष बदिदशमी तिथि सुखकारी थी
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