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________________ आपकी ही प्रिय सुशिष्या महासती श्री चम्पाकुंवरजी एक अनुभवी एवं चरित्रनिष्ठ महासती थी। विनय विवेक सेवा एवं सौम्यता की साक्षात मूर्ति थी। हमेशा स्वाध्यायरत रहती थी, उन्हें कभी भी बैठे रहना अच्छा नहीं लगता था तथा वे समय पालन में थोड़ा भी शिथिलता सहन नहीं करती थी किन्तु अपनी छोटी-छोटी शिष्याओं को कभी उदास नहीं देख सकती थी, उनका करुणापूरित मातृहृदय शीघ्र ही पिघल जाया करता था। महासती जी का वियोग निश्चित ही श्रमण संघ के लिए अपूरणीय क्षति हैं। मै उनको भी कभी भूल नहीं सकती हूँ। उनकी शिष्या साध्वी चन्द्रप्रभाजी आदि के प्रति सहानुभूतिपूर्वक यह कामना करती हूँ कि वे श्रमण संघ की गरिमा को बढ़ाएं और सद्गुरुणीजी के बताये हुए आदर्श को सदा सामने रखती हुई प्रगति पथ पर बढ़ती रहें। यही उनके प्रति उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सरलता सरसता की थी प्रतिमूर्ति, बनी रहेगी युग-युग तक आपकी यशः कीर्ति। जीवन के कण-कण में थी स्मृति। आती रहेगी सदा आपकी मधुर स्मृति॥ शांति एवं भव्यता की प्रतिमूर्ति • उपप्रवर्तिनी श्री मानकुंवर म. जीवन की समस्त उपलब्धियों का सार मृत्यु है। मृत्यु कार्य काल का लेखा जोखा है। जिन्होंने मृत्यु से नहीं जन्म ले छुटकारा पाने का पुरुषार्थ २२ वर्ष की अल्पायु से ४३ वर्ष तक किया। आपके सम्पूर्ण जीवन में स्वाध्याय, सेवा, अध्ययन एवं समाजोत्थान की विभिन्न दिशाओं में सतत् प्रयास रहा हैं। साथ ही आत्मानुरागिनी विदुषी श्री कानकुंवर जी महाराज का जीवन भी संयम की इसी त्रिपथगा से आलोकित रहा है। चम्पा पुष्प की वह गंध पुष्प के विलीन होने पर आज भी मनः प्राण में जीवित है। उनका अप्रमत्त संयम हमारे लिये भी अनुकरणीय- स्मरणीय एवं आदर्श बन गया। संयम का वह पावन निर्झर देह दृष्टया हमारे समक्ष नहीं है किन्तु उनका निर्मल यशः काय श्रद्धाशील मानस के लिए पथ प्रदर्शन का मंगल ध्येय है। महासती द्वय स्मृति ग्रंथ का यह प्रकाशन प्रबुद्ध पाठकों के लिये प्रेरणास्पद बनेगा इसी सद्भावना के साथ एक बार पुनः महासती द्वय के संयमी जीवन का श्रद्धार्चन। (२०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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