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________________ उनकी स्मृति अमर हैं। • श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद', चितौडगढ़ श्रमण श्रमणी विश्व जीवन के प्रतीक है। प्राणिमात्र के प्रति सकरुणा भाव लिये निरन्तर अध्यात्म यात्रा के पथिक श्रमण श्रमणी विश्व मानव है। सत्ता और संग्रह से परे सम्पूर्ण विरक्ति- अहर्निश निमग्न ऐसे पूज्य चारित्र आत्मा विश्व की अनमोल धरोहर है। निःस्वार्थ लोक जीवन को प्रतिपल अम्युदय की दिशा देने वाले संत सती लोक मंगल के प्रणेता है। यह धरा उनसे धन्य हैं। परमार्थ ही जिनका लक्ष्य रहा है वे स्वतः मंगल स्वरुप होते हैं। वे देह से व्यतीत होने पर भी अमर होते है। उनके संदेश अमर होते है, उनके उपदेश अमर होते है। श्रमणीरत्ना विदुषी महासतीजी श्री कानकुंरजी म.सा. और उन्ही की पसुशिष्या श्रमणीरत्ना महासती जी श्री चमदाकुवंरजी ने विश्व धरातल पर सर्वदा स्मृत है, अमृत है। उनकी साधना उनके ध्येय और उनका प्रकर्ष चिंतन संपर्कशील महानुभावों के हृदय पट पर अंकित है। उनकी स्मृति अमरहैं। उनका सुदीर्घ संयमी जीवन एक मंगल आदर्श का प्रारूप रहा है। अच्छा हो हमारा यह जन जीवन उनके जीवन्त आदर्शों से प्रेरणा लेकर धन्य-धन्य होता हैं। सरल स्वभावी महासतीजी • मुनि सुमति प्रकाश वड़पलनी मद्रास .. यहां स्थिविरा महासती जी का स्वर्गवास हम सब के लिये बहुत ही दुःखद रहा। मुझे तो पुनः दर्शन करने का भी सौभाग्य नही मिला। आप सभी पुण्यवान हो जो उनकी सेवा तथा दर्शन का समय मिला। महासतीजी बहुत ही सरल स्वभावी मधुरभाषी थी। उनकी गुण गाथा हमेशा-हमेशा के लिए स्मृति कोश में सुरक्षित रहेगी। सभी मिलकर उनके नाम को रोशन करें। अपने ज्ञान ध्यान की वृद्धि करें। यही शुभ भावना है। (८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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