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________________ आप सभी सुसंगठित रहकर समाज की सेवा में अग्रसर रहकर गुरुणीजी का नाम रोशन करें, यही गुरुदेवों की भावना हैं । पुनः पू. प्रवर्तक श्री जी पू. उप प्रवर्तक श्रीजी व श्री महेन्द्र मुनिजी ने महासतीजी श्री वसन्ताजी म.सा. आदि ठाणा ६ की बहुत २ सुख साता पुछवायी है और साथ ही इस महान दुःख को झेलने की शक्ति जिनशासन आप में प्रदान करें। महासती जी श्री कानकुवंरजी म.सा. जहां पर भी उनकी आत्मा हो वहां पर उनकी आत्मा को शांति मिले ऐसी हमारी शुभ भावना हैं । प्रेषक केवलचंद धोका, पाली ***** श्रद्धांजलि आपका तार मिलते ही दिनांक ५-८-९९ को पूज्य प्रवर्तक श्री रूपचंदजी म.सा पूज्य उप प्रवर्तक श्री सुकनमलजी म.सा आदि ठाणा के सांनिध्य में शोक सभा मनाई गई है। जिसमें सम्वेदना प्रकट की गई है व पाँच-पाँच नवकार मंत्र का उच्चारण करके मौन रख श्रद्धांजलि दी गई। स्व. आत्मा महासती श्री कानकुंवर जी म.सा की आत्मा को शान्ति मिले ऐसी जिनेश्वर देव से प्रार्थना की गई। ***** • Jain Education International • आशीर्वचन प्रेषक- केवलचन्द धोका, पाली आगमों में संघ को समुद्र की उपमा दी है। जैसे समुद्र (रत्नाकर) में अनेक प्रकार के मणि, माणक, रत्न आदि बहुमूल्य अपार खजाना छुपा रहता है । उसमें गोता लगाने वाले उन बहुमूल्य मणिओं को प्राप्त कर अपनी दरिद्रता दूर कर भौतिक समृद्धि प्राप्त कर लेते हैं। श्री रतन मुनि श्रमण संघीय सलाहकार इसी प्रकार संघ में में त्यागी, वैरागी, सेवानिष्ठ तपस्वी, प्रवचन प्रभावक, ज्ञानी - ध्यानी, योगी, धर्म प्रचारक आदि अनेक प्रकार के श्रमण- श्रमणी रत्न हैं । श्रमण संघ का यह एक सौभाग्य है कि अनेक प्रतिभाशाली मुनिराजों के साथ श्रमणी वर्ग भी है। वे संघ की गरिमा को बढ़ाने में अग्रणी रही है। महास्थविरा श्री कानकंवरजी महाराज एवं विदुषी महा साध्वी श्री चम्पाकंवरजी महाराज ऐसे श्रमणी रत्नों में से थी। उन्होंने अपने संयमी जीवन के सौरभ से श्रमण संघ के गौरव को बढ़ाने के साथ स्व- पर कल्याण करते हुए चारित्रिक जीवन को कृतार्थ किया है। आपके सद्गुणी संयमी जीवन की सौरभ को सुरमित करने हेतु आप की प्रशिष्या शिष्या साध्वी श्री चन्द्रप्रभा, (M.A.) प्रयास सफल हो ऐसी शुभेच्छाओं के साथ। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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