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________________ यह थी सती द्रौपदी के द्वारा अशान्ति को रोकने की अमृतमय विचार छाया। पारिवारिक एवं सामाजिक शान्ति की अग्रणीः सती मदनरेखा महासती मदनरेखा ने अपने पति यगबाह पर उसके बड़े भाई मगिरथ द्वारा विषाक्त तलवार के प्रहार करने से मरणासन्न अवस्था में उसकी मानसिक शान्ति और शुभलेश्या के लिए चार शरणों का स्वरूप समझाया तथा बड़े भाई के प्रति लेशमात्र भी क्रोध, द्वेष, बैरभाव आदि तथा अपनी पत्नी एवं सन्तान के प्रति मोहभाव मन से निकलवा दिया। उसके कारण परिवार में, राज्य में किसी प्रकार की अशान्ति नहीं हुई, न ही महासती मदनरेखा के पुत्र में किसी प्रकार से बैर का बदला लेने की भावना जगी। इस प्रकार सती मदनरेखा ने आत्मशान्ति, मानसिक शान्ति एवं पारिवारिक शान्ति रखने का प्रयत्न किया। यह अद्भुत पुरुषार्थ विश्व शान्ति का प्रेरक था। शासनसूत्र महिला के हाथ में हो तो युद्ध की विभीषिका मिट जाए _आज भी विश्व में कई जगह युद्ध, आतंक, कलह एवं संघर्ष के बादल मंडरा रहे हैं, वे कब कहर बरसा दें कुछ कहा नहीं जा सकता। ताजा खाड़ी युद्ध कितनी अशान्ति का कारण बना? ईरान और अमेरीका के राष्ट्रनायकों ने इस युद्ध में लाखों मनुष्यों का संहार एवं अरबों डालरों का व्यय किया, इसके उपरान्त भी जान-माल की बेहद क्षति हुई सो अलग! परिणाम में अशान्ति ही मिली, क्योंकि यह दो व्यक्तियों के अहंकार की लड़ाई थी! अगर कोई महिला राष्ट्रनेत्री होती तो निःसन्देह यह सब नहीं करती! उसकी करुणा, वत्सलता और मानवता ही उसे ऐसा अशान्तिजनक कार्य न करने देती। _ विश्व के राष्ट्रों में परस्पर भ्रातृत्वभाव, सह-अस्तित्व, सौहार्द्र एवं इन सबके द्वारा विश्वशान्ति स्थापित करने के लिए पहले 'लीग ऑफ नेशन्स' बना, तत्पश्चात् संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) इसी उद्देश्य से स्थापित हुआ था। परन्तु उसका नेतृत्व पुरुष के बजाय किसी करुणाशील वात्सल्यमयी महिला के हाथ में होता तो आज विश्व-राष्ट्रों में जो अशान्ति है, वह नहीं दिखाई देती। दुर्भाग्य से, इस संस्था पर भी वर्चस्व प्रायः पुरुषों का ही रहा। अगर पुरुष के बदले कोई वात्सल्यमयी महिला इसकी सूत्रधार होती तो परिवार, समाज एवं राष्ट्रों के बीच होने वाले मनमुटाव, संघर्ष, आन्तरिक कलह, वार्थ आहे. अवश्य ही मिट जाते। . विश्व के कई राष्ट्रों के आपसी तनाव, रस्साकस्सी और आन्तरिक विग्रह को देखकर सर्वोदयी सन्त विनोबा ने एक बार ये उद्गार निकाले थे- पुरुषों की अपेक्षा किन्हीं योग्य महिलाओं के हाथों में राष्ट्रों का शासन सूत्र सौंपना चाहिए, क्योंकि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में प्रायः नम्रता, सहनशीलता, निरहंकारता. वत्सलता एवं अहिंसा की शक्ति आदि गण अधिक मात्रा में विकसित होते हैं। महिला के हाथ में शासनसूत्र आने पर युद्ध, संघर्ष और तनाव की विमीषिका अत्यन्त कम हो सकती है, क्योकि महिलाओं का करुणाशील हृदय युद्ध और संघर्ष नहीं चाहता। वह विश्व में शान्ति चाहता है। इसी दृष्टि से एक बार स्व. विजयलक्ष्मी पण्डित संयुक्त राष्ट्रसंघ की अध्यक्षा चुनी गई थी। यह बात दूसरी है कि उन्हें राष्ट्र-राष्ट्र के बीच शान्ति स्थापित करने का अधिक अवसर नहीं मिल सका। यदि वह अधिक वर्षों तक इस पद पर रहती तो हमारा अनुमान है कि वह विश्व के अधिकांश राष्टों में शान्ति का वातावरण बना देती। (१०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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