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________________ संसार के इतिहास पर दृष्टिपात किया जाए तो प्रतीत होगा कि विश्व में शान्ति के लिए तथा विभिन्न स्तर की शान्त क्रान्तियों में नारी की असाधारण भूमिका रही है। जब भी शासनसूत्र उसके हाथ में आया है, उन्होंने पुरुषों की अपेक्षा अधिक कुशलता निष्पक्षता, एवं ईमानदारी के साथ उसमें अधिक सफलता प्राप्त की है। इन्दौर की रानी अहिल्याबाई, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, कर्णाटक की रानी चेन्नफा, महाराष्ट्र की चांदबीबी सुल्ताना, इंग्लैण्ड की साम्राज्ञी विक्टोरिया, इजराइल की गोल्डा मेयर, श्रीलंका की श्रीमती बदारनायके ब्रिटेन की एलिजाबेथ, भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी आदि महानारियाँ इसकी ज्वलन्त उदाहरण हैं। पुरुष शासकों की अपेक्षा स्त्री शासिकाओं की सूझबूझ, करुणापूर्ण दृष्टि, सादगी, सहिष्णुता, मितव्ययिता, अविलासिता, तथा शान्ति स्थापित करने की कार्यक्षमता इत्यादि विशेषताएँ अधिक प्रभावशाली सिद्ध हुई हैं। विश्व शान्ति के कार्यक्रम में महिला द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका यही कारण है कि श्रीमती इन्दिरा गाँधी को कई देश के मान्धाताओं ने मिल कर गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की प्रमुखा बनाई थी। उनकी योग्यता से सभी प्रभावित थे । इन्दिरा गाँधी ने जब गुट निरपेक्ष राष्ट्रों के समक्ष शस्त्रास्त्र घटाने, अणुयुद्ध न करने तथा आणविक अस्त्रों का विस्फोट बन्द करने का प्रस्ताव रखा तो प्रायः सभी राष्ट्रों ने विश्वशान्ति के सन्दर्भ में प्रस्तुत इन प्रस्तावों का समर्थन एवं स्वागत किया । ऐसा करके स्व. इन्दिरा गाँधी ने सिद्ध कर दिया कि एक महिला विश्वशान्ति के कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। इतना ही नहीं, जब भी किसी निर्बल राष्ट्र पर दबाव डालकर कोई सबल राष्ट्र उसे अपना गुलाम बनाना चाहता, तब वे निर्बलराष्ट्र के पक्ष में डटी रहतीं, खुलकर बोलती थीं। हालांकि इस के लिए उनके अपने राष्ट्र को सबल राष्ट्रों की नाराजी और असहयोग का शिकार होना पड़ा। बंगलादेश ( उस समय के पूर्वी पाकिस्तान) पर जब (पश्चिमी) पाकिस्तान द्वारा अमेरीका के सहयोग से अत्याचार ढहाया जाने लगा, तथा वहाँ के निरपराध नागरिकों, बुद्धिजीवियों और महिलाओं पर हत्या, लूटपाट, बलात्कार और दमन का चक्र चलाया जाने लगा तब करुणामयी इन्दिरा गाँधी का मातृहृदय द्रवित हो उठा। उन्होंने तुरन्त संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपनी आवाज उठाई। उसकी उपेक्षा होते देख भारत की आर्थिक क्षति उठा कर भी यहाँ के कुशल योद्धाओं को वहाँ के नागरिकों और नेताओं की पुकार पर भेजा और कुछ ही दिनों में बंगलादेश को पाकिस्तान के चंगुल से छुड़ा कर स्वतंत्र कराया। इससे यह स्पष्ट सिद्ध होता है कि विश्वशान्ति के कार्य में एक महिला अवश्य ही कार्यक्षम हो सकती है। भारतीय स्वतंत्रता के लिए जब महात्मा गाँधी जी ने अहिंसक संग्राम छेड़ा तब कस्तूरबा गाँधी आदि हजारों नारियाँ उस आन्दोलन में अपने धन-जन की परवाह किये बिना कूद पड़ी थीं। उन्होंने जेल की यातनाएँ भी सहीं, सत्याग्रह में भी भाग लिया । फ्रांसीसी स्वतंत्रता संग्राम की संचालिका 'जोन ऑफ आर्क' भी इसी प्रकार की महिला थी, जिसने राष्ट्रभक्ति से प्रेरित होकर अपनी सुख-सुविधाओं को तिलांजलि देकर भी राष्ट्र की शान्ति और अमनचैन के लिए कार्य किया। Jain Education International (११) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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