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________________ समतायोगी स्वामी श्री ब्रजलाल जी म. . . -श्रमण श्री विनय कुमार 'भीम' 86868800 62080010050cssoteoccc008080/४ • जन्म- वि.सं. १९५८ माघ शुक्ला ५ (बसंत पंचमी) • जन्म स्थान- तिंवरी (राजस्थान) • पालन पोषणा- गढाई पंढरिया (म.प्र.) • माता- श्री चम्पाबाई (बाद में श्रमणी दीक्षा) पिता- श्री अमोलक चन्द जी श्रीश्रीमाल • दीक्षा- स्वामी श्रीजोरावरमल जी म.सा. के पास वि.सं. १९७१, वैशाख शुक्ला १२, स्थान ब्यावर (राज.) • गुरुमाता- मुनि श्री हजारीमल जी म.सा. एवं युवाचार्य श्री मिश्रीमल जी म. 'मधुकर' • स्वर्गवास- वि.सं. २०४० आषाढ़ कृष्णा ८, २ जुलाई १९८६, धूलिया (महाराष्ट्र) वैशिष्ट्य- निष्काम सेवाभावना, वृद्ध रूग्ण, असहाय की सेवा के लिए तन-मन- से सर्वात्मना समर्पित रहे हैं, नाम और पथ की भावना से सर्वथा दूर। सरलतापूर्वक साधना के पथ पर अडिगता से डटना। हस्तलिपि की अद्भूत कला, जैन आगमों का सुन्दर शुद्ध लिपि में विशिष्ट हस्तलेखन। ठोस अनुभव की धरती पर पल्लवित ज्योतिष विद्या का गहन ज्ञान। स्वाध्याय के विशिष्ट अभ्यासी। मधुर स्वर, निश्छल व्यवहार, मधुर गायन। __परमसेवा भावी, संत पुरुष स्वामी श्री ब्रजलाल जी म.सा. उच्चकोटि के साधक थे। वे निरन्तर सेवा साधना करते हुए, कर्तव्य की कठोर असिधारा पर चलते हुए आजन्म उसके गर्व में अछूते रहे। अपनी साधना और सेवानिष्ठा के विषय में वे सदैव मौन रहे। उन्हें अपने कर्तव्य का अहंकार स्पर्श भी नहीं कर पाया था। स्वामीजी अपने संत-समुदाय में एक महान कर्तव्य सम्पन्न, सेवाभावी, सतत जागरुक संत रहे। उनकी सहज सरल बालक-सी निर्मल आंखों में झांकने पर, मन्द मुस्कान से युक्त उनकी मुखमुद्रा को पढ़ने पर उनके स्वाभाविक रहन-सहन व बोलचाल का निरीक्षण करने पर भी अहंकार की गंध कहीं नहीं आई। (२८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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