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सावारत्न पुlddi आभनन्दन ग्रन्थ
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सती शिरोमणि का अभिनन्दन
-महासती कौशल्या जी म.
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पुष्पवती गुरु भगनी का अभिनन्दन आज ही करते हैं। सती शिरोमणि प्रवचन दातृ चरणों में वन्दन करते हैं ।
लघु वय में ले दीक्षा इनने ज्ञान-ध्यान में चित्त दिया।
संस्कृत-प्राकृत हिन्दी आदि कई भाषाओं का ज्ञान किया ।। सस्कृत हिन्दी की दे के परीक्षा फस्ट नम्बर में पास हुई। दर्शन ज्ञान आराधन करके मिथ्या मत से दूर हुई ॥
त्रि करण से शुद्ध आराधन चरित्र धर्म का करती है ।
जन-जन में जिन वाणी का प्रचार सभा में करती है । "शतं जीयात्" सोहन गुरुणी की, शिष्या पुष्पवती सती ।
शुभाशिष दो "कौशल्या" को, बनी रहे मेरी शुभ मति ।। हर्ष से मनाइये
--साध्वी सुदर्शनप्रभा (जैन सिद्धान्त शास्त्री) संसार को तजकर, संयम को सज कर । ज्ञान का प्रकाश कर, मिथ्यातम मिटा कर। जिनवर भज कर, आत्म को जगाइये ।। सम्यग् चारित्र जीव, अपना अपनाइये ॥ भवों का भ्रमण कर, रूला है अनन्तकाल । सती पुष्पवतीजी की, स्वर्ण जयन्ति शुभ । सम्यग्दर्शन पा के, मिथ्यात्व भगाइये ।। ___ हिल मिल 'सुदर्शना' हर्ष से मनाइये ।।
वन्दन अभिनन्दन
–महासती श्री सिद्धकुवरजी
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महासती श्री पुष्पवती जी बड़े उपकारी ___ करुणाधारी बाल ब्रह्मचारी "टेर पिता जीवनसिंह जी के कुल उजियारे, प्रेम देवी माता के आप सहारे,
उदयपुर नगरी में 55 5 जन्मे जाहरी...........१ गुरुराज पुष्कर मुनि भाग्य से पाए, सोहन गुरुणी जी के चरणों में आए,
चवदह वर्ष में 55s संयमधारी..............२
संयम लेकर चित्त ज्ञान में लगाया, आपकी बुद्धि का पार न पाया,
स्वल्प समय में 555 बने गुणधारी.........."३ वाणी में जादू अमृत रस बरसे, सुन-सुन जनता के हृदय हरसे, ___ मेवाड मारवाड ऽऽऽ मालवा विहारी..........."४ युग युग जीए आप यही भावना है, “सिद्ध" प्रभ से यही मंगल कामना है, वन्दन अभिनन्दन 555 बार हजारी.........
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वन्दन-अभिनन्दन | ६१
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