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साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
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श्रद्धा सुमन गीत - महासती विमलवतीजी
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(तर्ज- मेरी प्यारी बहनियां )
मेरी प्यारी बहनियाँ मिली खबरियाँ अभिनन्दन ग्रन्थ छपे तेरा, हर्षा है मन अति मेरा... " जीवनसिंह जी" की प्यारी होनन्दा 'प्रेम कुंवर की तुम 'उदयपुर शहर' में 'बरड़ियाँ आय लगाया 'सुन्दर' डेरा
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( श्री विमलवतीजीम० की शिष्या) - महासती ज्ञान प्रभा
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कुल
के
चन्दा
घर में,
बालक वय में जब तुम ज्ञान गुरुणी 'सोहन' से तेरस दीक्षा है, महासुद तोडन निकले हैं कर्म जंजीरा उपाचार्य है भाई तुम्हारा माता के साथ वे संयम धारा दर्श जो पावे, अति हुलसा
जन-जन के मोहन गारा ""हर्षा पढ़ लिख आप विदुषी पद पाई साहित्य कला में निपुणता लाई परसा है मेवाड़ और भी मारवाड़ गावे
हैं गुण "विमल' तेरा''''हर्षा'''
- हर्षा "
आये
पाये
६२ | प्रथम खण्ड : शुभकामना : अभिनन्दन
सरस
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"हर्षा
श्रद्धा सुमन
( तर्ज - इन्हीं लोगों ने .... अभिनन्दन है, अभिनन्दन है अभिनन्दन सुखकारी, जाऊँ बलिहारी शहर उदयपुर जन्म लिया है,
कुल 'बरड़िया' मझारी.... जाऊँ–
'जीवनसिंहजी ' पिता तुम्हारे माता प्रेम की दुलारी....जाऊँ -
बाल
वय
में
छोड़ संसार
शिक्षण
संयम धारा दुःखकारी.... जाउँ -
पाया, धर्म सुनाया वाणी मधुर हितकारी.... जाऊँ
दीक्षा की स्वर्ण जयन्ति आई,
जोवो वर्ष हजारी....जाऊँ
'ज्ञान प्रभा' का श्रद्धा सुमन ले लो आप स्वीकार.... जाऊँ -
पुष्प सूक्ति कलियां
[] अहिंसा का मूल आधार समत्वयोग है । समत्वयोग आत्म-साम्य दृष्टि की प्रदान करता है । इसका तात्पर्य विश्व की सभी आत्माओं को समदृष्टि से निहारना है ।
अहिंसा वीरों का धर्म है | अहिंसा का यह वज्र आघोष है - मानव ! तू अपनी स्वार्थलिप्सा में डूबकर दूसरे के अधिकार को न छीन ।
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