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| श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ ।
श्रद्धा का अर्घ्य : भक्ति-भरा प्रणाम : १८६ :
बोलता भाषा हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, फारसी। मीठी मीठी बोली सूवी उपदेश झाड़ता। मालवी,गुजराती,राजस्थानी बोलचाल री॥ हजारों श्रावक सुण आंख्यां न टमकारता॥ भण्या जैन-धर्म प्रमाण,
वाण्या, ब्रामण, कुम्हार, गीता, भागवत, पुराण,
खाती, अहीर, पाटीदार, वेद, उपनिषद्, रामा'ण,
जाट, तेली ने लुहार, बाइबल गुलिस्ताँ कुराण,
ढेड़, बोला' ने चमार, पंडितरत्न रो तुजरबो पावण वाला रो। सभी सुणता व्याख्यान ज्ञान माला रो। गंगारामजी री आंख्यां रा उजाला रो॥ गंगारामजी री आंख्यां रा उजाला रो॥
प्रेमसु गरीबां री झोंपड्या में जावता। राजस्थान पूरो देख्यो,गाँव-गाँव शोभाबढ़ी। महलवाला भी वाने झोपड्या ज्यू भावता॥ भीलवाड़ा, चित्तौड़, कानोड़-बड़ी सादड़ी। झक्या राजा रा दरबार,
उदयपुर ने जोधपुर, आमेर, जमींदार, जागीरदार,
अलवर, नागोर, बीकानेर, नबाब ने नरेश सरदार,
कोटा, ब्यावर ने अजमेर, काम्प्या धाड़ाती, गद्दार,
करली अरावली री सैर, मेट्यो हूँ पणो केई मुछाला रो। ठोकर खाता ने गडारे' लावण वाला रो। गंगारामजी री आंख्यां रा उजाला रो॥ गंगारामजी री आंख्याँ रा उजाला रो॥
अबे आगे मध्यदेश-मालवा में चालिया। कोटा में चौमासो कीनो घणा सुख पावता। मन्दसौर,रतलाम, उज्जैन, इन्दौर देखिया।। दया न आई राम अस्या संत ने ले जावता। लखनऊ, आगरा ने कानपुर,
सम्वत् साला मगसर मास, बम्बई ने पूना भी मशहूर,
नवमी रविवार भाई त्रास, दिल्ली, पालनपुर री ट्यूर,
कीनो आप स्वर्गा वास, घूम्या भारत में भरपूर,
आंख्यां आयो भादव मास, घर-घर में ज्ञान रा दिवला जोवणवाला रो। दुनियां रोई भदुड़ाजल बहियो नेणनाला रो। गंगारामजी री आंख्यां रा उजाला रो॥ गंगारामजी रा आंख्यां रा उजाला रो॥
१
रेगर
२
रास्ते पर
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