________________ पं. रतनचन्द जैन मुख्तार : व्यक्तित्व और कृतित्व 卐 मत-सम्मत卐 "उनके स्मृतिग्रन्थ के बहाने जिस प्रकार उनके विस्तृत कृतित्व का यह प्रसाद पुञ्ज सम्पादकों ने जिज्ञासुत्रों में वितरित करने के लिए तैयार किया है, यह सचमुच बहुत उपयोगी बन गया है। ''मैं समझता हूँ कि किसी अध्येता विद्वान् को आदरपूर्वक स्मरण करने का इससे अच्छा कोई और माध्यम नहीं हो सकता है।" -ब्र. पं. जगन्मोहनलाल शास्त्री, कटनी (म.प्र.) "इसमें जो ज्ञानराशि भरी हुई है, विद्वज्जन उसका निश्चय ही समादर करेंगे। युगल सम्पादकों का श्रम गज़ब का एवं अकल्प्य है। इनकी यह अपूर्व देन विद्वानों और स्वाध्यायी बन्धुओं को अपूर्व लाभ पहुंचावेगी।" -पं. बंशीधर व्याकरणाचार्य, पं. दरबारीलाल कोठिया न्यायाचार्य ..."यह विविध शकाओं का समाधान करने वाला 'पाकर ग्रन्थ' है।" -पद्मश्री पं. (डॉ.) पन्नालाल साहित्याचार्य, जबलपुर ..."जो व्यक्ति इस ग्रन्थ का मनोयोगपूर्वक कम-से-कम तीन बार स्वाध्याय कर ले, वह जैनागम के चारों अनुयोगों का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकता है। "अाज इस महान् ग्रन्थ को पढ़कर मैं अपने को धन्य समझ रहा हूँ। मेरी इच्छा बार-बार इस कृति को पढ़ने की होती है।" -प्रो. उदयचन्द्र जैन सर्वदर्शनाचार्य, वाराणसी "स्व. श्री मुख्तार सा. द्वारा प्रस्तुत समाधानों का यह संग्रह वास्तव में एक सन्दर्भ-ग्रन्थ है जिसमें धवला. जयधवला अादि श्रुत के सागर को भर दिया गया है। जैन विद्या के अध्येताओं के लिए यह संग्रह पठनीय व मननीय है।" -डॉ. दामोदर शास्त्री सर्वदर्शनाचार्य, दिल्ली "यह विशाल ग्रन्थ अपनी विस्तृत और प्रामाणिक सामग्री के कारण सहज ही 'पागम ग्रन्थ' की कोटि में रखा जा सकता है।........" -नीरज जैन, सतना (म. प्र.) library.org