________________
mm स म प रणm
सिद्धान्तमर्मज्ञ, अभीक्ष्णज्ञानोपयोगी, स्याद्वावशासन के समर्थ प्रहरी, निलिप्त आत्मार्थी
मूक विद्याव्यासंगी, श्रुतानुरागी सरलपरिणामी, विनम्रता को सजीव मूर्ति,
स्थितिकरणसाधक साधुसेवापरायण, विद्वद्रत्न
मोक्षमार्ग के पथिक (स्व०) ब्र० पं० रतनचन्दजी मुख्तार को
उनका यह कृतित्व
सविनय
सादर स म पित
-जवाहरलाल जैन -चेतनप्रकाश पाटनी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org