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________________ श्री नाहटाजीका अद्भुत व्यक्तित्व श्री रिखबराज कर्णावट, एडवोकेट, जोधपुर स्वनामधन्य श्री अगरचन्दजी नाहटाका नाम मैं अपने विद्यार्थी - जीवनसे सुनता आ रहा था । उनके द्वारा किया गया शोध कार्यका विवरण उनके लेखोंके माध्यमसे मुझे पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने को मिलता रहा । उनकी गवेषणा व सत्यान्वेषणकी शक्तिका मैं कायल था । उनके व्यक्तित्व व रहन-सहन के सम्बन्ध में मैंने एक विशेष प्रकारकी धारणा बना रखी थी किन्तु प्रथम साक्षात्कार में जब मैंने श्री नाहटाजीके दर्शन किये तो मैं कुछ क्षणों के लिए विश्वास नहीं कर सका कि बीकानेरी पगड़ी व ठेठ राजस्थानी वेषभूषा में ऐसा महान् विद्वान् देखनेको मिलेगा । नाहटाजोकी व्यक्तिकी भाँति राजस्थानी भाषामें निरहंकार वार्ता करते देख कर मैं उनके प्रति आकर्षित हुए बिना न रह सका । उसके बाद तो ज्यों-ज्यों मिलनेका काम पड़ता गया, मेरी भक्ति उनके प्रति उत्तरोत्तर बढ़ती गई । श्री नाहटाजी व्यवसायसे व्यापारी है । व्यापारी चतुर, परिश्रमी व लगनशील होता है । शोधके कामोंमें उनके ये गुण स्पष्टतया परिलक्षित होते हैं । अनेक दुर्लभ छिपे हुए ग्रन्थों का पता लगाकर श्री नाहटाजीने भारतीय वाङ्मयकी अद्भुत सेवा की है। जब मैंने यहा सुना कि सरस्वती मांकी अनवरत सेवा करनेवाले इस सपूतको अभिनन्दन ग्रन्थ भेट करनेका निर्णय हुआ है तो मेरा हृदय प्रसन्नता व प्रफुल्लतासे भर गया । भारतीके इस वरद पुत्रका अभिनन्दन करने मात्र से हमारे कर्त्तव्यकी इतिश्री नहीं हो जाती । जो महान काम इस विभूतिने अपने हाथ में लिया और जिसे वे बिना रुके अभी तक करते आ रहे हैं, उस काम में गति देने में हमारा भरपूर सहयोग हो और जो मशाल इन्होंने जलाय है, उसे मन्द न होने देनेकी प्रतिज्ञा योग्य विद्वान् लें तो श्री नाहटाजीको सन्तोष होगा । श्री नाहटाजी चिरायु होकर अपने मित्रोंको भो इस शोध कार्यको बढ़ाने में प्रेरणा प्रदान कर उनका मार्ग प्रशस्त करते रहें । हार्दिक अभिनन्दन श्री मोतीलाल खुराना ● मां भारतीकी सेवा में सदैव रत । ● अहिंसा परमो धर्मः की ज्ञान ज्योति प्रज्वलित रखने वाले | ● पुरातन आध्यात्मिक ग्रन्थोंको अपना समस्त जीवन समर्पित करने वाले । • जिनकी लेखनी कभी विश्राम नहीं लेती । ● जो सभी पत्र-पत्रिकाओंको अपना ही मानते हैं । उन श्री अगरचन्दजी नाहटाके प्रति अपनी समस्त शुभ कामनाएँ प्रेषित करते हुए हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ । Jain Education International व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण : ३६३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012007
Book TitleNahta Bandhu Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages836
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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