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________________ श्री अगरचन्द्रजी नाहटा अच्छे लेखक और सम्पादक हैं । उनका परिचय मुझे बहुत दिनोंसे है । उनके लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओंमें छपते रहते हैं । उन्हें अप्रकाशित साहित्यको प्रकाशमें लानेकी बड़ी लगन है । उसीका परिणाम है कि वे स्वयं साहित्यिक कार्यों में प्रवृत्त रहे हैं और दूसरोंको भी प्रेरणा देकर कार्य कराते रहते हैं । श्वेताम्बर समाजमें ऐसे व्यक्ति कम ही मिलेंगे जिन्हें साहित्य सेवाकी उत्कट लगन हो । अभी हाल में उन्हें अभिनंदन ग्रंथ समर्पित किया जानेवाला है । ऐसे साहित्यकों की सेवाका समाजको मूल्यांकन करना चाहिये। उन जैसी लगनका मैंने दूसरा व्यक्ति नहीं देखा । मैं कामना करता हूँ कि श्री अगरचन्द्रजी नाहटा चिरजीवी हों, जिससे वे अधिक साहित्य-सेवा कर सकें । चिरजीवा हों पं० परमानन्दजी शास्त्री करता श्री अगरचन्दजी नाहटा जैन ही नहीं वरन् राजस्थान के साहित्य जगत् के एक अपूर्व विद्वान् होने के नाते राजस्थानके गौरव -स्तम्भ हैं । वे शोध विद्वानोंमें श्रम और साधनाका ऐसा अपूर्व समन्वय लिये हुए है। कि न केवल शोधकर्मियों वरन् विश्वविद्यालयोंके स्नातकोत्तरों एवं विद्वानोंको भी आपके शोधकार्य के सहयोगकी सदैव अपेक्षा रहती है । शोधके क्षेत्र में आपकी मौलिक देनके प्रति जैन एवं साहित्य जगत् आपका सदैव ऋणी रहेगा । आपसे एक बार साक्षात्कार होने के बाद शायद ही कोई विरला होगा जो आपकी सादगी, संयमी जीवन और शोधकी निष्ठासे प्रभावित हुए बिना रह सकेगा । आपकी षष्टि पूर्तिके उपलक्ष्य में आपका हृदयसे अभिनन्दन करता हुआ, शतायु होनेकी मंगल कामना 1 अभिनन्दन पर ( मालार्पण के साथ) दो शब्द बलवन्त सिंह मेहता Jain Education International साहित्य महारथी पं० पन्नालाल साहित्याचार्यं विविध पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित होनेवाले अनेक लेखोंको देखकर मन अब भी आश्चर्य में डूब जाता है कि अगरचन्दजी नाहटा कितना लिखते हैं ? इनका अध्ययन कितना अगाध है ? साहित्यिक, ऐतिहासिक, धार्मिक तथा पुरातत्त्व आदिसे सम्बद्ध आपके लेख एक नई दिशा तथा नई चेतना प्रदान करते हैं । साहित्य संग्रहकी ओर ही आपकी अभिरुचि नहीं है किन्तु उसका सूक्ष्मतम अध्ययन करनेमें भी आपकी बड़ी अभिरुचि है । दिगम्बर और श्वेताम्बर - दोनों आम्नायोंके ग्रन्थोंका प्रगाढ़ अध्ययन आपने किया है । व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण : २०५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012007
Book TitleNahta Bandhu Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages836
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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