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ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शत बार है श्री विमलकुमार जैन सोंरया
'अगरचंद नाहटा' सा जन बना हृदय का हार है, ऐसे ज्ञानज्योति दिनकर का अभिनंदन शत बार है।
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जिसने अपने सद विवेक से जन-जन को आलोक दिया, जिसने अपने पुण्य प्रयासों से मानव को योग दिया। जिसने क्षमता समता से मानव मन को आह्लाद दिया, जिसने अक्षय ज्ञान पुञ्ज से नव युग को निर्माण दिया ||
जो धरती पर बन आया माँ सरस्वती का प्यार है, ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन त वार है।
जिसने अपने पौरुषसे अपना इतिहास बनाया है । जिसने अपने कर्त्तव्योंसे जगमें निर्माण कराया है ॥ जिसने अपनी सद्वाणीसे मानव को पथ दर्शाया है । जिसने अपनी कृत करणीसे पावन तम गुरुपद पाया है । जो इस युगके बुधजन गण का बना एक आधार है। ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शत बार है ॥
जिसकी पावन पुण्य लेखनीसे आलोकित लोक है। जिसकी ज्ञानमयी प्रतिभा को जग जन देता धोक है ॥ जिसने अपने बुध विवेकसे मिटा दिया सब शोक है। जिसने आगे आने वाले युग को दिया आलोक है || जो जन-जनके लिए बना अब अलख ज्ञान का द्वार है, ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का
अभिनंदन शत बार है ॥
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जिसके शंखनादसे जो नरसे नारायण भारत माँ की पावन अगणित जन जिसकी उस जन की यह आज अर्चना का
ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शत वार है ॥
१२२ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रंथ
पावन धर्म पावन धर्म जगा इन्सानमें, बनकर विचरा सम्यक् ज्ञानमें ॥ वाणी का जिसमें सम्मान है । शिक्षासे दीक्षित हुए महान है ।। ग्रंथा शुभ हार है।
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