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बालTimi
पूर्वा
भारत की पावन भूमि पर आज से दो हजार पाँच सौ तिहत्तर वर्ष पूर्व जन्मे तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर, भारतीय जनमानस के ही नहीं, सम्पूर्ण मानब समाज के लिये, गौरव, प्रतिष्ठा और सम्मान के परमाधिकारी महामानव थे। उनके परमोदात्त चरित्र
और पवित्र उपदेशों ने भारतीय परम्परा को गौरवान्वित किया । उनकी तपोनिष्ठा (तप-तितीक्षा), आत्म विजय, व्यापक मैत्री भावना और निर्वाण प्राप्ति ने प्राणीमात्र को आलोकित किया ।
हिंसा, बलि, पाखंड, बैर घणा और विषमता के युग में जन्मे वर्द्धमान ने वैचारिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्रान्ति के माध्यम से तत्कालीन मानव समाज को अहिंसा और सह-अस्तित्व पर आधारित नवीन जीवन-दर्शन प्रदान कर तत्कालीन समाज-व्यवस्था को झकझोर दिया। उनके उपदेशों ने युगप्रवाह को बदलकर नवीन युगप्रवर्तन किया जिसके कारण तत्कालीन समाज का एक बहुत बड़ा भाग उनके मानवता,
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